पतंजलि योग ट्रस्ट के सह-संस्थापक और योगगुरु के नाम से देश और दुनिया में मशहूर बाबा रामदेव की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों उन्होंने एलोपैथी और डॉक्टर्स को लेकर विवादित बयान दिया था। जिसके बाद जमकर किरकिरी हुई थी, स्वास्थ्य मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपना बयान वापस लिया था। उसके बावजूद भी विवाद लगातार बढ़ता गया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड ने बाबा रामदेव पर 1000 करोड़ की मानहानि का केस कर दिया था। दूसरी ओर पतंजिल द्वारा निर्मित कोरोनिल को लेकर भी विवाद चरम पर है। भारत में बाबा ने इसे कोरोना की दवाई बताकर लांच कर दिया था। जिसके बाद आयुष मंत्रालय ने एक्शन लिया और यह इम्युनिटी बुस्टर के तौर पर बाजार में बेची जाने लगी।
पतंजलि का दावा है कि इस दवा से कोरोना के लाखों मरीज ठीक हुए हैं, जिसका आंकड़ा भी है। पतंजलि के सीईओ आचार्य बाककृष्ण ने पिछले दिनों यह बात कही थी। इसी बीच खबर है कि हमारे पड़ोसी देश नेपाल के आयुर्वेद एवं वैकल्पिक चिकित्सा विभाग ने पतंजलि की कोरोनिल की वितरण पर रोक लगा दी है। नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह खबर सामने आई। हालांकि, नेपाल सरकार ने औपचारिक प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी नहीं किया है।
हटाए गए नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री
खबरों के मुताबिक उत्तराखंड के हरिद्वार से संचालित होने वाली पतंजलि योगपीठ की ओर से नेपाल के निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश त्रिपाठी को करोड़ों रुपये की कोरोनिल किट, सैनिटाइजर, मास्क और अन्य प्रतिरक्षा बूस्टर दवाएं सौंपी गई थी। जिसके बाद नेपाल में जमकर बवाल मचा। मामले का बढ़ते देख हृदयेश त्रिपाठी को स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटा दिया गया।
दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से कोरोनिल पर बैन का खंडन किया गया। प्रवक्ता डॉ कृष्ण प्रसाद पौडयाल ने कहा, सरकार ने दवा के खिलाफ कोई औपचारिक प्रतिबंध आदेश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा है कि आम जनता को वितरित की जाने वाली किसी भी प्रकार की दवा को पहले स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के अंतर्गत औषधि प्रशासन विभाग में पंजीकृत होना आवश्यक है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ समय पहले नेपाल के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हृदयेश त्रिपाठी को कोरोनिल का एक पैकेट उपहार में दिया गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसके अलावा मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है।
खबरों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं कि कोरोनिल कोरोना बीमारी को ठीक कर सकती है। उन्होंने कहा कि नेपाल में पहले से ही ऐसी कई आयुर्वेदिक दवाएं हैं जो इम्यूनिटी बूस्ट कर सकती है।
अभी तक नहीं बनी है कोरोना की दवा
बता दें, योगगुरु बाबा रामदेव ने कोरोना की पहली लहर के बीच ही जून 2020 में आयुर्वेद आधारिक कोरोनिल किट को लांच की थी। उन्होंने इसे कोरोना की दवाई बताया था। जिसके बाद जमकर बवाल मचा था। आयुष मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि ऐसी किसी भी दवा को मंजूरी नहीं दी गई है। जिसके बाद इस दवा को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचा जाने लगा। आपको बताते चले कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अभी तक किसी भी ऐसी दवा को मंजूरी नहीं दी है जो कोरोना का इलाज कर सके।