अफगानिस्तान में तालिबान ने आखिरकार सरकार का गठन कर ही लिया। मंगलवार शाम को तालिबान ने अंतरिम सरकार का ऐलान किया। अब अफगानिस्तान की कमान मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के हाथों में होगी। उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा उप प्रधानमंत्री के मुल्ला बरादर और मौलवी हनीफ बनाया गया।
मोस्ट वॉटेंड आतंकी बना गृह मंत्री
जैसी उम्मीद की ही जा रही थीं तालिबान ने अपनी सरकार में कई बड़े आतंकियों को जगह दी है। इसमें खूंखार और मोस्ट वॉटेंड आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी का भी नाम शामिल है, जिसे तालिबान सरकार में गृह मंत्री का पद सौंपा गया है।
अमेरिका ने रखा है करोड़ों का इनाम
सिराजुद्दीन हक्कानी खूंखार आतंकियों में से एक है। अमेरिका के साथ साथ वो भारत का भी दुश्मन नंबर 1 है। अमेरिकी जांच एजेंसी (FBI) ने हक्कानी पर 5 मिलियन डॉलर यानी 36 करोड़ रुपये का इनाम तक घोषित किया हुआ है। हक्कानी का संबंध पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके से है। उसके आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के अल-कायदा से भी काफी गहरे संबंध रहे हैं। सिराजुद्दीन हक्कानी के पिता जलालुद्दीन हक्कीम की मौत के बाद से ही वो हक्कानी नेटवर्क की कमान संभाल रहा है।
बताया ये भी जा रहा है कि हक्कानी को रक्षा मंत्री का पद चाहिए था। वो इसके लिए अड़ा हुआ था। जिसकी वजह से उसकी मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से झड़प भी हो गई थीं। बाद में वो गृहमंत्री पद के लिए राजी हुआ।
भारत को भी दे चुका है जख्म
हक्कानी का नाम कई आतंकी हमलों में आ चुका है। इसके संबंध पाकिस्तान से हैं, जिसके चलते ये भारत के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है। हक्कानी नेटवर्क भारत को भी अपने हमले का शिकार बना चुका है। साल 2008 में नेटवर्क के आतंकियों ने काबुल के भारतीय दूतावास पर हमला किया था। भारतीय दूतावास अफगानिस्तान के सबसे सुरक्षित इलाके में थी। बावजूद इसके आतंकियों ने कार के जरिए ब्लास्ट किया था। हमले में 6 भारतीय सहित 58 लोग मारे गए थे। वहीं 100 से जख्मी हुए।
इसके बाद इस आतंकी संगठन ने 2009 में भी काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर हमला किया। उस आत्मघाती हमले में 17 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 63 घायल हुए। साल 2001 में सिराजुद्दीन, हक्कानी नेटवर्क का चीफ बना था।