बीता साल कोरोना महामारी की वजह से काफी उतार चढ़ाव से भरा रहा था। वहीं 2021 अपने एक साथ उम्मीद की एक किरण लेकर आया। 2021 की शुरुआत अच्छी हुई थीं। एक तरफ कोरोना का कहर कम होने लगा था, तो दूसरी तरफ वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हो गया। ऐसा लग रहा था कि अब देश जल्द ही महामारी के खिलाफ जंग में जीत हासिल कर लेगा। लेकिन इस दौरान कोरोना और भी ज्यादा खतरनाक रूप लेकर लौटा। देश में कोरोना का प्रकोप इस वक्त अपने चरम पर पहुंचा हुआ है।
कोरोना की दूसरी लहर की वजह से मोदी सरकार जमकर आलोचनाओं में घिरी हुई है। एक तरफ तो विपक्ष सरकार पर हमलावर है, दूसरी ओर विदेशी मीडिया भी इसको लोग पीएम मोदी पर खूब निशाना साध रही है। अब अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका ‘द लेंसेट’ ने अपने एक संपादकीय में कोरोना महामारी की सेकेंड वेव को लेकर पीएम मोदी की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी की।
जर्नल में लिखा गया कि पीएम मोदी का काम माफी लायक नहीं। बीते साल कोरोना महामारी के सफल नियंत्रण के बाद दूसरी लहर के दौरान जो गलतियां हुई, उसके लिए उनको जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
‘राष्ट्रीय आपदा के लिए जिम्मेदार होगी सरकार’
जर्नल में आगे द इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के हवाले से ये अनुमान लगाया गया कि एक अगस्त तक कोरोना महामारी के चलते भारत में मौत का आंकड़ा 10 लाख तक पहुंच सकता है। ऐसा होता है, तो इस राष्ट्रीय तबाही के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार होगी। क्योंकि चेतावनी के बाद भी सरकार ने धार्मिक आयोजनों की इजाजत दीं। साथ में चुनावी रैलियां भी जारी रखीं।
जर्नल में आगे मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए लिखा गया कि वो कोरोना महामारी पर काबू पाने की जगह ट्विटर पर हो रही आलोचनाओं और खुली बहस पर रोक लगाने की कोशिशों में जुटी है। लेसेंट में लिखा कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मार्च में ऐळान कर दिया था कि अब महामारी खत्म होने वाली है। केंद्र ने बेहतर मैनेजमेंट से कोरोना को हराने में सफलता हासिल की है। इससे ये पता लगता है कि बार बार चेतावनी के बाद भी भारत सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।
वैक्सीनेशन प्रोगाम पर उठाए सवाल
जर्नल में आगे भारत के हेल्थ सिस्टम पर सवाल उठाए गए। इसमें लिखा कि हॉस्पिटल में मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही। वो दम तोड़ रहे हैं। मेडिकल टीम थक गई, वो संक्रमित हो रहे हैं। व्यवस्था से परेशान लोग सोशल मीडिया पर बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और जरूरी दवाइयां मांग रहे हैं। भारत के वैक्सीनेशन प्रोगाम पर सवाल उठाते हुए इसमें कहा गया कि सरकार ने राज्यों के साथ नीति में बदलाव पर चर्चा किए बिना ही अचानक बचलाव किए। इसकी वजह से 2 प्रतिशत से कम जनसंख्या को ही टीका लग पाया।
‘पहली लहर के दौरान अच्छा काम किया, फिर…’
इसके अलावा पत्रिका में कहा गया कि बीते साल कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए अच्छा काम किया था। लेकिन दूसरी लहर के दौरान सरकार ने कई बड़ी गलतियां की। बढ़ते कहर के बीच सरकार को फिर से जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ काम करने की जरूरत है। द लेसेंट में सरकार को दो तरफा रणनीति से काम करना चाहिए। जिसमें पहला वैक्सीनेशन प्रोगाम को बेहतर तरीके से लागू करने की जरूरत है। दूसरा ये कि सरकार जनता को सही आंकड़े और जानकारियां मुहैया करवाए।