Chinmoy Krishna Das Arrested: बांग्लादेश में हाल ही में हुई घटनाओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। हिंदू धर्मगुरु और ISKCON के प्रमुख पुजारी चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी (Chinmay Prabhu Arrested) के बाद पूरे देश में तनाव बढ़ गया है। हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन पर जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) जैसे कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हमले की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इसी बीच हिंदू प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और उनके खिलाफ हिंसक कार्रवाई की खबरें सामने आई हैं।
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चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के पीछे की वजह (Chinmoy Krishna Das Arrested)
चिन्मय प्रभु, जिनका पूरा नाम चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी है, बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के एक प्रभावशाली नेता और ISKCON के चटगांव स्थित पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं। वह लंबे समय से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।
Pls Don’t Mob Lynch The Kid!!!
They R Beating Anyone They R Getting Infront Of DMRC
Pls Show Some Humanity
They R Kids #BangladeshCrisis pic.twitter.com/ba63fdttdA
— বাংলার ছেলে 🇧🇩 (@iSoumikSaheb) November 25, 2024
हाल ही में 25 अक्टूबर को ढाका के न्यू मार्केट में हिंदुओं के समूह ‘समानत जागरण मंच’ द्वारा एक विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। रैली के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी ध्वज के ऊपर भगवा झंडा लगा दिया। इस घटना को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के रूप में दिखाकर बांग्लादेश की पुलिस ने चिन्मय प्रभु को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने दावा किया है कि यह घटना देश की गरिमा के खिलाफ है। लेकिन हिंदू समुदाय का मानना है कि यह गिरफ्तारी चिन्मय प्रभु (who is Chinmoy Krishna Das) को निशाना बनाने और उनकी आवाज को दबाने का एक राजनीतिक कदम है।
कट्टरपंथियों के निशाने पर हिंदू समुदाय
चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों का एक और उदाहरण है। हाल ही में, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हालात और बिगड़ गए। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से ही हिंदू समुदाय पर हिंसा तेज हो गई।
हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, लोग बेघर हो रहे हैं, उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा रहा है। कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदू धार्मिक नेताओं और संगठनों को दबाने की साजिश की जा रही है। ऐसे में चिन्मय प्रभु ने हिंदू समुदाय की एक मजबूत आवाज बनने की कोशिश की, जिसके कारण वे कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए।
चिन्मय प्रभु: एक सशक्त नेता
चिन्मय प्रभु बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के लिए एक प्रेरणा हैं। वह न केवल ISKCON के प्रमुख पुजारी हैं, बल्कि सनातन जागरण मंच के अध्यक्ष और बांग्लादेश में हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सक्रिय नेता हैं।
बांग्लादेश में ISKCON के 77 से अधिक मंदिर हैं और लगभग 50,000 लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं। चिन्मय प्रभु ने हमेशा धर्म और न्याय के लिए काम किया है। उन्होंने हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई है। इस गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निंदा हो रही है। कई मानवाधिकार संगठन और हिंदू समुदाय के वैश्विक नेता इस घटना पर गहरी चिंता जता रहे हैं।
हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल
चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कट्टरपंथी ताकतों द्वारा अल्पसंख्यकों (Violence against Hindus in Bangladesh) पर हो रहे हमलों और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिशें चिंताजनक हैं।