जिसका डर पूरी दुनिया को सता रहा था, वही हुआ। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट एक के बाद एक धमाकों से बुरी तरह दहल उठे। इन धमाकों में अब तक 100 से भी ज्यादा लोगों की मौत की खबर हैं। अमेरिका को भी इसमें बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत भी हमले के दौरान हुई। काबुल एयरपोर्ट को दहलाने के पीछे ISIS-K का हाथ था। इस आतंकी संगठन ने ही वहां धमाके कराए और इसकी जिम्मेदारी भी ली।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि ISIS-K संगठन है क्या, जिसने काबुल को हिलाकर रख दिया? ये संगठन कैसे बना, कितना खतरनाक और भविष्य में ये कैसे मुसीबत की वजह बन सकता है? आइए जानते हैं इसके बारे में…
कब-कैसे बना ये संगठन?
ISIS-K यानी ISIS खुरासान…ये आतंकी संगठन आईएसआईएस का ही हिस्सा है। इसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के आतंकी चलाते हैं। खुरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है। कभी इसमें उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल था। अभी के समय में ये हिस्सा अफगानिस्तान व सीरिया के बीच का है। 2015 में इस आतंकी संगठन की स्थापना हुई थी। इसका हिस्सा अफगान तालिबान और पाकिस्तान तालिबान के कई सदस्य बने थे।
तालिबान कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद उसके कई खूंखार आतंकवादी ISIS-K में शामिल हो गए थे। ISIS-K का मुख्यालय अफगानिस्तान के नांगरहार राज्य में है, जो पाकिस्तान के भी काफी पास है।
अमेरिका का है दुश्मन
अमेरिका और ISIS-K के बीच दुश्मनी की शुरुआत सालों पहले ही हो गई थी। ये अमेरिका ने इस आतंकी संगठन को तालिबान से भी बड़ा खतरा माना था और इसके कमजोर करने की कोशिश की। साल 2016 में अमेरिकी हमों के चलते इस आतंकी में केवल 1500 से दो हजार ही आतंकी बचे थे। फिर इसके बाद अमेरिका ने ISIS-K को सबसे बड़ा नुकसान 13 अप्रैल 2017 को पहुंचाया था। अमेरिका ने ISIS-K के ठिकाने पर सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया था। ISIS-K के मुख्यालय के ठीक ऊपर अमेरिका ने ये बम गिराया, जिसमें 3 दर्जन से अधिक आतंकी एक झटके में ढेर हो गए थे। इन सबके बावजूद ये आतंकी संगठन धीरे धीरे कर मजबूत होता चला गया।
कई बड़े हमलों को दे चुका है अंजाम
ISIS-K ऐसे कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिससे पता चलता है कि ये कितना खतरनाक संगठन है। ISIS-K ने एक महिला अस्पताल को भी अपना निशाना बनाया था। जिसमें 24 महिलाएं और नवजात बच्चे मारे गए थे। इस हमले में ऐसी महिलाएं भी मारी गई थीं, जो बच्चों को जन्म देने वाली थीं। इसके अलावा भी कई बड़े हमलों को अंजाम ये आतंकी संगठन अब तक दे चुका है।
तालिबान के लिए भी है खतरा
तालिबान के लिए भी ये संगठन खतरा बना हुआ है। खासतौर पर अब जब तालिबान दुनिया को अपनी साफ छवि दिखाने की कोशिश में है। तालिबान कह चुका है कि वो अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देगा। ऐसे में अफगानिस्तान में इस संगठन का मजबूत होना, तालिबान के लिए भी खतरा है।
वैसे ISIS-K को तालिबान का भी दुश्मन माना जाता है। दरअसल, इस आतंकी संगठन का ये मानना है कि तालिबान उतना कट्टर नहीं, जितना होना चाहिए। यही वजह है कि वो तालिबान से भी ज्यादा कट्टर और खूंखार है। जहां अफगानिस्तान में इस संगठन का प्रभाव है, वहां इसने बेहद ही सख्त तरीके से शरिया कानून को लागू किया जाता है। और जो उसका उल्लंघन करता पाया जाता है, तो ISIS-K उसे बेहद ही क्रूर सजा देता है। इस वजह से ही इसको तालिबान से भी ज्यादा खतरनाक संगठन माना जाता है।