Japan News: जापान ने हाल ही में प्रशांत महासागर के नीचे दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का एक विशाल भंडार खोजा है, जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी संतुलित कर सकता है। यह खोज समुद्र तल से 5,700 मीटर नीचे, टोक्यो से लगभग 1,200 मील दूर, मिनामी-तोरी-शिमा द्वीप के पास की गई थी। इन खनिजों का मूल्य लगभग 26 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है और यह इस क्षेत्र पर चीन के प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है।
समुद्र में दबा दुर्लभ खजाना- Japan News
समुद्र तल से हजारों मीटर नीचे स्थित इस क्षेत्र में लगभग 230 मिलियन टन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का भंडार है। इनमें कोबाल्ट और निकल जैसे खनिज शामिल हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी, जेट इंजन, गैस टर्बाइन, और अन्य उच्च तकनीक उत्पादों के लिए आवश्यक हैं। निप्पॉन फाउंडेशन और टोक्यो विश्वविद्यालय के सहयोग से इस खोज को अत्याधुनिक रिमोट संचालित अंडरवाटर वाहनों के जरिए अंजाम दिया गया।
पहली बार 2016 में इस क्षेत्र में मैंगनीज नोड्यूल की मौजूदगी की पहचान की गई थी। लेकिन हाल ही में किए गए विस्तृत मानचित्रण ने इसके वास्तविक भंडार का खुलासा किया, जिसमें 610,000 मीट्रिक टन कोबाल्ट और 740,000 मीट्रिक टन निकल पाया गया। तांबे के अतिरिक्त निशान भी इस क्षेत्र में आर्थिक क्षमता को और बढ़ाते हैं।
जापान की अर्थव्यवस्था को नई ताकत
यह खोज जापान की अर्थव्यवस्था और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। दुर्लभ पृथ्वी खनिज, विशेष रूप से कोबाल्ट और निकल, हरित प्रौद्योगिकियों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जापान के पास अब विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने का अवसर है। इन खनिजों का उपयोग कर जापान न केवल अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत करेगा, बल्कि खुद को प्रौद्योगिकी और विनिर्माण में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकेगा।
खनिज बाजार में चीन को चुनौती
दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के उत्पादन में वर्तमान में चीन का वर्चस्व है। जापान की यह खोज इस प्रभुत्व को सीधी चुनौती देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन भंडारों का उपयोग करके जापान वैश्विक खनिज आपूर्ति में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण और उत्खनन योजना
टोक्यो विश्वविद्यालय में संसाधन भूविज्ञान के प्रोफेसर यासुहिरो काटो ने कहा कि इन खनिजों के उत्खनन में पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दी जाएगी। 2025 में उत्खनन शुरू करने की योजना है। इसमें ऐसे विदेशी खनन जहाजों का उपयोग किया जाएगा, जो प्रतिदिन हजारों टन नोड्यूल निकालने में सक्षम होंगे।
यह मापा दृष्टिकोण पारिस्थितिक प्रभाव को कम करने और स्थिर संसाधन निष्कर्षण सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगा।
जापान के लिए दीर्घकालिक लाभ
इस खोज से जापान को कई दीर्घकालिक लाभ हो सकते हैं:
- आर्थिक विकास: यह भंडार जापान की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई तक पहुंचा सकता है।
- ऊर्जा स्वतंत्रता: दुर्लभ खनिजों का उपयोग हरित ऊर्जा और उन्नत प्रौद्योगिकियों में होगा।
- वैश्विक नेतृत्व: जापान खनिज आपूर्ति और प्रौद्योगिकी में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।