सोचिए आप घर में बैठे हैं…टीवी देख रहे हैं, लैपटॉप पर काम कर रहे हैं या फिर रेडियो पर गानें सुन रहे हैं और उसी दौरान उसमें ब्लास्ट हो जाए. आप अभी सोच ही रहे हैं कि ये कैसे हुआ…इसी बीच आपको लगातार धमाके की आवाज सुनाई देने लगती है…सभी के टीवी ब्लास्ट होने लगते हैं…लैपटॉप फटने लगते हैं…वॉकी टॉकी में धमाका होने लगता है…पेजर ब्लास्ट होने लगते हैं…इन सब पर मंथन चल ही रहा होता है कि आप पर हवाई हमला हो जाता है और आपके 1000 से ज्यादा रॉकेट लॉन्चर बैरल तबाह कर दिए जाते हैं.
हिजबुल्लाह के साथ इजरायल ने ऐसा ही किया है…इजरायल ने बता दिया कि वह हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन नेटवर्क में घुस सकता है और जब चाहे उसे बर्बाद कर सकता है. लेकिन क्यों? इजरायल की लड़ाई तो हमास और फिलिस्तीन से चल रही थी…फिर एकाएक इजरायल ने लेबनान समर्थित हिजबुल्लाह को निशाने पर क्यों लिया? इजरायल ने सीधे तौर पर हिजबुल्लाह से लड़ाई क्यों मोल ले ली? इजरायल ने पेजर अटैक और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में ब्लास्ट कैसे किया? हमास को बर्बाद करने की चाह रखने वाला इजरायल हिजबुल्लाह पर क्यों टूट पड़ा? क्या 24 साल पुरानी लड़ाई का बदला लेगा इजरायल?
लेबनान पर क्यों टूट पड़ा इजरायल?
आपने राजकुमार का वो डायलॉग सुना होगा “जानी…हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी और वह वक्त भी हमारा होगा.” राजकुमार का ये मशहूर डायलॉग मौजूदा समय में इजरायल पर काफी सटीक बैठता है. हिजबुल्लाह के आंतरिक सिस्टम पर अटैक की कहानी को समझने के लिए हमें आज से करीब 11 महीने पीछे चलना होगा…दिन था 7 अक्टूबर 2023 का. हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया और सैकड़ों इजरायली मारे गए. इजरायल अभी संभला भी नहीं था कि दूसरी ओर से हिजबुल्लाह ने हमास के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए इजरायल पर आक्रमण कर दिया. यानी एक ही दिन में 2 फ्रंट पर इजरायल की लड़ाई शुरु हो गई.
उस वक्त इजरायल ने हमास पर अपना ज्यादा ध्यान केंद्रित किया और हिजबुल्लाह को उलझाए रखा. अब इजरायल फिलिस्तीन के काफी अंदर तक घुस चुका है. हमास को काफी हद तक बर्बाद कर चुका है. स्थिति ऐसी हो गई है कि हमास को फिर से पनपने में दशकों लग जाएंगे लेकिन अभी तक युद्ध विराम हुआ नहीं है. इजरायल के काफी नागरिक अभी भी हमास के कब्जे में हैं और उन्हें छोड़ने के बदले हमास अपने कैदियों की रिहाई चाहता है.
जंग के बीच पिछले साल नवंबर में इजरायल और हमास में एक डील हुई थी. इसके तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे की कैद में मौजूद बंधकों को रिहा किया था. ध्यान देने वाली बात है कि हमास पर इजरायल की ओर से किए गए जवाबी हमले में अभी तक 40 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिक भी मारे जा चुके हैं..फिलिस्तीन में काफी अंदर तक इजरायल कब्जा जमा चुका है. जल्द ही इन दोनों के बीच एक बड़ी डील होने वाली है. रिपोर्ट्स की मानें तो इजरायल की ओर से हमास को शांति प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है.
ऐसे में अब दूसरे दुश्मन से निपटने की बारी थी, जिसने हमास के साथ ही दूसरी छोर से इजरायल पर हमला बोला था…अब बारी थी हिजबुल्लाह की. ऐसे में इजरायल ने पूरी तरह से अपना ध्यान हिजबुल्लाह पर केंद्रित कर दिया. पहले पेजर अटैक से इजरायल ने हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम को ध्वस्त किया..अभी हिजबुल्लाह कुछ समझ ही पाता उससे पहले ही वॉकी-टॉकी, टीवी, लैपटॉप और तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में हुए धड़ाधड़ अटैक से लेबनान में कोहराम मच गया. हिजबुल्लाह की कमर टूट गई और उसके बाद हिजबुल्लाह कमांडर नसरुल्लाह ने इजरायल को अंजाम भुगतने की चेतावनी तक दे डाली है.
पेजर और इलेक्ट्रॉनिकल डिवाइसों में कैसे हुआ ब्लास्ट?
हिजबुल्लाह पर इजरायल के इस आंतरिक पेजर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में अटैक से कम से कम 32 लोगों की मौत हुई है, जबकि 4500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. दरअसल, पेजर को बीपर के नाम से भी जाना जाता है. यह एक छोटा, पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है जिसे छोटे मैसेज या अलर्ट प्राप्त करने और कुछ मामलों में मैसेज भेजने के लिए डिजाइन किया गया है. डिवाइस के मूल का काम मैसेज प्राप्त करना और भेजना है.
मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि फोन ट्रैक होने के खतरे के मद्देनजर जब से हिजबुल्लाह ने पेजर के उपयोग की बात कही थी, उसी दौरान इजरायल ने इजरायल ने एक शेल कंपनी स्थापित करने की योजना बनाई. पेजर बनाने वाले लोगों की वास्तविक पहचान को छिपाने के लिए कम से कम दो अन्य फर्जी कंपनियां भी बनाई गईं. उसी कंपनी से हिजबुल्लाह को पेजर सप्लाई हुआ और इसी बीच इजरायल ने वह कर दिखाया, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है.
लेबनान का फिलिस्तीन कनेक्शन
आपको बता दें कि लेबनान, इजरायल की सीमा से सटा हुआ एक देश है, जो 1943 में आजाद हुआ. वहां ईसाई, सुन्नी मुसलमान, शिया मुसलमान, द्रुज़ और अन्य तबक़ों का एक मिश्रण है और वह क्षेत्र के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए एक शरणस्थल रहा है. इसी के आधार पर लेबनान का संविधान बना और इस राष्ट्र ने इकबालिया प्रणाली अपनाया. इकबालिया प्रणाली के तहत, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष के पद क्रमशः मैरोनाइट कैथोलिक ईसाई, सुन्नी मुस्लिम और शिया मुस्लिम के लिए आरक्षित हैं.
लेबनान: पेजर ब्लास्ट में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 12 हुई…#Pager #pagers #PagerAttack #Lebanon #Blast #Nedricknews pic.twitter.com/UBxFhBNTog
— Nedrick News (@nedricknews) September 18, 2024
इस कहानी में मोड़ तब आता है जब इजरायल अपनी सीमाएं फैलाने की कोशिश में लगा था. दुनिया भर से यहूदी फिलिस्तीन में आकर बसने लगे थे और अपने पैर फैलाने लगे थे. इसके बाद 1948 में अमेरिका ने इजरायल को मान्यता दी. उससे पहले यह क्षेत्र ब्रिटेश के नियंत्रण में था. उसके बाद 5 अरब देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला किया लेकिन उसी बीच इजरायल ने अरबों को जवाब देते हुए अपने अगल बगल के फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर कब्जा जमाना शुरु कर दिया. इस दौरान जमकर रक्तपात हुआ और बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी नागरिक फिलिस्तीन छोड़कर लेबनान पहुंच गए और लेबनान को ही अपना बसेरा बना लिया. अब लेबनान में स्थिति बिगड़ने लगी..जनसांख्यिकी में परिवर्तन आने लगा और स्थिति ऐसी बनी की 1975 के करीब लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया.
यह देश 15 सालों तक गृहयुद्ध में झुलसता रहा. इसी बीच 1982 में इजरायल ने लेबनान के बेरुत पर हमला कर दिया. उसी साल अब्बास अल-मुसावी और नसरुल्लाह ने मिलकर हिजबुल्लाह की स्थापना की. गृह युद्ध के दौरान इजरायल ने लेबनान में अपनी बढ़त बना ली थी और दक्षिणी लेबनान के कई हिस्सों पर कब्जा जमा लिया था. 1990 में जब 15 साल चला लेबनानी गृहयुद्ध खत्म हुआ तो हिजबुल्लाह इकलौता गुट था जिसने अपने हथियार बरकरार रखे थे. 1992 में, अब्बास अल-मुसावी की मृत्यु के बाद, सिर्फ 32 साल की उम्र में हसन नसरल्लाह को हिजबुल्लाह का महासचिव चुना गया. मुसावी इजरायल के हवाई हमले में मारा गया था.
24 साल पुरानी लड़ाई का बदला?
फिर क्या था…पावर हाथ में आते ही नसरुल्लाह ने इजरायल को परेशान करना शुरु किया. मई 2000 तक हिजबुल्लाह ने इजरायल पर इतने हमले किए कि इजरायल को दक्षिणी लेबनान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना पड़ गया और दक्षिणी लेबनान पर इजरायल का 22 साल से चला आ रहा कब्जा खत्म हो गया. यह पहली बार था जब इजरायल के सैनिक पीछे हटे थे. इजरायली कब्जा खत्म होने के बाद लेबनान और पूरे अरब वर्ल्ड में नसरुल्लाह को ‘कल्ट फिगर’ का दर्जा मिला.
2006 में, जब संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से इजरायल के साथ संघर्ष-विराम की घोषणा हुई तो नसरल्लाह की व्यक्तिगत लोकप्रियता चरम पर थी. अरब जगत में समर्थकों ने नसरल्लाह की तस्वीर वाले पोस्टर बांटे थे. नसरल्लाह के कार्यकाल में, हिजबुल्लाह एक गुरिल्ला गुट से लेबनान का सबसे ताकतवर संगठन बन गया है. मौजूदा समय में लेबनान के राजनीतिक और सैन्य संगठनों पर भी हिजबुल्लाह का पूरा नियंत्रण है. हिजबुल्लाह एक शिया संगठन है, जिसका नियंत्रण लेबनान पर है…जबकि हमास एक सुन्नी संगठन है, जिसका नियंत्रण फिलिस्तीन पर है…लेकिन शिया-सुन्नी की लड़ाई के बीच भी ये दोनों एकदूसरे के समर्थक हैं.
दुनिया में कोई भी नहीं है सुरक्षित
हिजबुल्लाह के केस में भी कहानी हमास वाली ही है…पहले हमास ने हमला किया, जिसके बाद इजरायल ने उसे तबाह कर दिया…इधर इजरायल के दूसरे हिस्से पर हमला पहले हिजबुल्लाह ने किया…जिसे अब बर्बाद करने पर इजरायल तुला हुआ है..हिज़्बुल्लाह के कम्युनिकेशन नेटवर्क पर हमला करने से इसराइल की रणनीतिक तौर पर जीत हुई है. ये हमला कुछ ऐसा था, जैसा आप किसी सस्पेंस थ्रिलर किताब में पढ़ते हैं या थ्रिलर फ़िल्म में देखते हैं.
हालांकि, इस हमले से पूरे अरब जगत ने स्थिति काफी गंभीर हो गई है..कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि 1948 की तरह एक बार फिर से अरब जगत मिलकर इजरायल पर हमला न कर दे…लेकिन उस समय में भी इजरायल ने अकेले ही 5 अरब देशों को मात दे दी थी और काफी बड़े क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया था….ऐसे में अगर मौजूदा समय में सब मिलकर भी इजरायल पर हमला करते हैं तो इजरायल किस हद तक सेंधमारी कर सकता है, इसका प्रमाण उसने हाल ही में लेबनान में दे दिया है.
इस हमले से दूसरा खतरा यह पैदा हो गया है कि आज के समय में दुनिया का कोई भी देश खुद को पूर्ण रूप से सुरक्षित होने का टैग नहीं दे सकता..भारत में तो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बड़ी मात्रा में दूसरे देशों से आयात होते हैं…कई चीनी कंपनियों के मोबाइल फोन तो भारत के घर घर में यूज हो रहे हैं..ऐसे में कब क्या हो जाए..इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.