Iran Supreme Court Attack: ईरान की राजधानी तेहरान में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के अंदर एक दुर्लभ और गंभीर हमला हुआ, जिसमें दो प्रमुख न्यायाधीशों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये दोनों न्यायाधीश, अली रजिनी और मोहम्मद मोगीसेह, राष्ट्रीय सुरक्षा, जासूसी और आतंकवाद के मामलों को संभालने के लिए जाने जाते थे।
घटना का विवरण- Iran Supreme Court Attack
ईरानी सरकारी मीडिया के अनुसार, यह हमला 18 जनवरी को तेहरान स्थित सुप्रीम कोर्ट के “पैलेस ऑफ जस्टिस” में हुआ। मिज़ान ऑनलाइन समाचार एजेंसी ने बताया कि एक बंदूकधारी ने सुप्रीम कोर्ट में घुसपैठ की और योजनाबद्ध तरीके से इन दोनों न्यायाधीशों को गोली मार दी। इसके बाद, हमलावर ने खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
घटना में एक अन्य व्यक्ति, जो संभवतः न्यायाधीशों का अंगरक्षक था, घायल हो गया। मिज़ान की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि हमलावर का सुप्रीम कोर्ट में कोई मामला नहीं चल रहा था, और वह किसी भी न्यायालय शाखा का मुवक्किल नहीं था।
हमलावर और उसके इरादे
ईरान की न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने बताया कि हमलावर एक “घुसपैठिया” था, जिसका संबंध न्यायालय से था। हालांकि, इस घटना की जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने नहीं ली है।
हमले में मारे गए न्यायाधीश अली रजिनी और मोहम्मद मोगीसेह, 1988 के मृत्युदंडों के लिए कुख्यात थे। इन पर आरोप था कि उन्होंने ईरान-इराक युद्ध के अंत में बड़ी संख्या में असंतुष्टों और राजनीतिक बंदियों को मृत्युदंड का फैसला सुनाया था।
रजिनी और मोगीसेह: विवादास्पद अतीत
अली रजिनी पहले भी निशाना बन चुके हैं। जनवरी 1999 में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उनके वाहन पर बम फेंका था, जिसमें वह घायल हो गए थे।
अमेरिकी वित्त विभाग ने 2019 में मोहम्मद मोगीसेह पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्हें “अनुचित मुकदमों की सुनवाई करने” और पत्रकारों एवं इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को लंबे कारावास की सजा देने के लिए कुख्यात माना जाता था।
1988 के मृत्युदंड और आलोचना
इन दोनों न्यायाधीशों पर 1988 में बड़ी संख्या में मृत्युदंड के फैसले देने का आरोप था। उस समय, इराक के साथ ईरान के लंबे युद्ध के अंत में, असंतुष्टों और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और निर्वासित ईरानी समूहों ने इन न्यायाधीशों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।
घटना की पृष्ठभूमि
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब ईरान गंभीर आर्थिक अस्थिरता से गुजर रहा है और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा है। इसके अलावा, इजराइल और अमेरिका के साथ ईरान के तनावपूर्ण संबंध इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।
पैलेस ऑफ जस्टिस: सुरक्षा पर सवाल
“पैलेस ऑफ जस्टिस” ईरान की न्यायपालिका का मुख्यालय है और यहां आमतौर पर कड़ी सुरक्षा रहती है। इसके बावजूद, इस प्रकार की घटना ने सुरक्षा तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। मारे गए न्यायाधीशों के अतीत को देखते हुए, कई मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले को न्यायपालिका के कठोर फैसलों और विवादास्पद नीतियों का परिणाम बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में हुए इस दुर्लभ और घातक हमले ने ईरान में न्यायपालिका और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। अली रजिनी और मोहम्मद मोगीसेह की हत्या न केवल ईरान के अंदर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहस का विषय बन गई है।