Indian Immigrants Deported By US: अमेरिका जाने का सपना बहुत से भारतीयों के दिलों में बसा हुआ है, लेकिन कई बार यह सपना सच नहीं हो पाता और यह एक दर्दनाक यात्रा बन जाता है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के खुशप्रीत सिंह, पंजाब के सुखपाल सिंह, रॉबिन हांडा और अन्य कई युवाओं ने बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका जाने का सपना देखा था, लेकिन उनका यह सपना जल्दी टूट गया। उन्हें न केवल शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा, बल्कि उनके परिवारों ने भी इस यात्रा में भारी नुकसान उठाया।
खुशप्रीत सिंह की कहानी- Indian Immigrants Deported By US
खुशप्रीत सिंह, जो छह महीने पहले 45 लाख रुपये खर्च करके अमेरिका गए थे, उनके पिता ने अपनी ज़मीन, घर और पशुधन पर कर्ज लेकर उन्हें विदेश भेजा था। खुशप्रीत का कहना है कि उन्होंने 22 जनवरी 2024 को सीमा पार की और दो फरवरी को वापस भेज दिए गए। अमेरिका में पकड़े जाने के बाद उन्हें 12 दिनों तक ट्रांज़िट कैंप में रखा गया। खुशप्रीत सिंह का कहना है, “जब हमें हाथों में हथकड़ी लगाई गई, तो हम समझ गए कि अब हमारी यात्रा खत्म हो चुकी है।”
सुखपाल सिंह की यात्रा
पंजाब के होशियारपुर जिले के सुखपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने जंगलों और समुद्र के रास्ते होते हुए अमेरिका पहुंचने की कोशिश की। रास्ते में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुखपाल कहते हैं, “हमने रास्ते में कई शवों को देखा। हमें खाना भी ठीक से नहीं मिलता था, और जब हम आगे बढ़ते थे तो हमें और भी मुश्किलें आती थीं।” सुखपाल की यात्रा बेहद खतरनाक रही, जिसमें उन्होंने अपार संघर्ष किया और भारी दुविधाओं का सामना किया।
रॉबिन हांडा की कठिन यात्रा
रॉबिन हांडा ने भी अमेरिका जाने के लिए 7 महीने पहले अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका गए थे। उनका कहना है, “मैंने 22 जनवरी को अमेरिका की सीमा पार की। इसके बाद हमें सेना के हवाले कर दिया गया। वहां हमें अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया, और हमसे झूठ बोला गया कि हमें एक कैंप में रखा जाएगा।”
रॉबिन हांडा के परिवार ने इस यात्रा पर 45 लाख रुपये खर्च किए थे, जिनमें से अधिकतर पैसे उन्होंने कर्ज लेकर जुटाए थे। रॉबिन के पिता ने दुख जताते हुए कहा, “हमने अपने बेटे के लिए सब कुछ किया, लेकिन अब वो कहीं का नहीं रहा। हमें हमारा पैसा वापस मिलना चाहिए।”
जसविंदर सिंह की कहानी
पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के जसविंदर सिंह ने भी अमेरिका जाने के लिए 50 लाख रुपये खर्च किए थे। उनका परिवार जमीन गिरवी रखकर यह पैसा जुटाने में कामयाब हुआ था। जसविंदर सिंह 22 दिन पहले ही अमेरिका पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी पकड़कर वापस भेज दिया गया। जसविंदर के चाचा करनैल सिंह ने बताया कि जसविंदर ने कहा था कि “कैंप में हमें खाने को कुछ नहीं दिया जाता था, केवल आधा सेब या जूस मिलता था।” जसविंदर का स्वास्थ्य अब खराब है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
संकट में भारतीय प्रवासी
इन सभी मामलों में जो सबसे बड़ा दर्दनाक पहलू है, वह है इन युवाओं की यात्राओं के दौरान हुई शारीरिक और मानसिक कठिनाइयां। उन्होंने अपनी सारी ज़िंदगी की जमा-पूंजी और परिवार का खर्चा लगा दिया, लेकिन अंत में उन्हें अपने ही देश वापस भेज दिया गया। इसके साथ ही, उनकी कोशिशों और संघर्षों के बावजूद उनका सपना अधूरा रह गया।
सरकार और एजेंटों की भूमिका
इस सब में एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी उठता है कि आखिर क्यों इन युवाओं को धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा। उनके द्वारा दिए गए पैसे और संघर्ष के बावजूद एजेंटों ने उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं दिया, और न ही उन्हें उस प्रकार की सुरक्षा दी, जिसकी उन्हें जरूरत थी। कई मामलों में परिवारों ने एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
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