पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या हालत है, यह पूरी दुनिया जानती है लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार को लेकर कभी किसी बड़े देश ने किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी…हालात ऐसे हुए कि अब वहां हिंदू और सिख समुदाय के लोगों की संख्या हजारों में आ गई है…पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा व्यवहार करने का दिखावा करता है. वैसे तो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को हर परीक्षा में बैठने की इजाजत है लेकिन फिर भी पाकिस्तान की सेनाओं में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदू और सिक्खों की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है.
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2006 में सेना में मिली थे पहले हिंदू को जगह
ध्यान देन वाली बात है कि पाकिस्तान में इंटर सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड की परीक्षाओं में नियम के आधर पर हर धर्म के लोग शामिल हो सकते हैं…काफी बड़ी संख्या में ऐसी बड़ परीक्षाओं में वहां के अल्पसंख्यक युवा हिस्सा भी लेते हैं लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हो पाता. कारण क्या है कोई नहीं जानता…1947 के बाद सेसाल 2006 तक पाकिस्तानी सेना में मात्र एक हिंदू और एक सिख को जगह मिल सकी थी. हालांकि, पाकिस्तान की सेनाओं में कई ईसाई सैनिक हैं.
दरअसल, 25 सितंबर, 2006 में न्यूज एजेंसी PTI के हवाले से प्रकाशित एक ख़बर में पाकिस्तानी सेना के करीब 60 साल के इतिहास में पहली बार एक हिंदू को सेना में भर्ती किए जाने की ख़बर छपी थी. इस ख़बर में इससे कुछ ही दिनों पहले एक सिख युवक को भी सेना में भर्ती किए जाने का जिक्र किया गया था. इस हिंदू युवक का नाम दानिश था. वो पाकिस्तानी आर्मी में कैप्टन हैं.
इस खबर में दानिश को राजस्थान की सीमा से लगने वाले सिंध के थारपारकर जिले का बताया गया. पाकिस्तान की सेना में शामिल होने वाले पहले पाकिस्तानी हिंदू दानिश का कहना था कि उसे सेना में शामिल होने की प्रेरणा पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ से मिली. उसने कहा था कि ‘राष्ट्रपति मुशर्रफ में वे सारी खूबियां हैं, जो एक महान नेता में होनी चाहिए.’
पहली बार ये सिख सैनिक हुआ था सेना में शामिल
अगर हम पाकिस्तानी सेना में किसी सिख के होने की बात करें तो साल 2005 में ननकाना साहिब के हरचरन सिंह पाकिस्तान की सेना में भर्ती होने वाले पहले सिख बने थे. उस समय ये खबर भी जमकर वायरल हुई थी. वहीं, 2010 में एक अन्य सिख अमरजीत सिंह नाम के युवक को पाकिस्तानी रेंजर के तौर पर नियुक्ति मिली थी. बाघा बॉर्डर पर परेड के दौरान वह काफी चर्चा में आए थे. न्यूज 18 की रिपोर्ट की मानें तो बाद में एक सिख युवक पाकिस्तानी कोस्ट गार्ड के तौर पर भी भर्ती हुआ…इसके अलावा पुलिस महकमें में भी गुलाब सिंह नाम के एक सिख युवक को पहली बार ट्रैफिक पुलिस वॉर्डन बनाया गया था.
यह पहला मौका था जब हिंदू और सिखों को पाकिस्तानी सेना में जगह मिली थी. कहा जाता है कि इसके बाद से हिंदू और सिखों को पाकिस्तानी सेना में जगह मिलने लगी लेकिन अगर हम आंकड़ें कि बात करें..यह जानना चाहें कि कितने हिंदू और सिख पाकिस्तानी सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो इसका हमें किसी भी तरह का कोई आंकड़ा नहीं मिलता है.
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