Google Tax: भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गूगल टैक्स के रूप में प्रसिद्ध 6% इक्विलाइजेशन टैक्स को हटाने का प्रस्ताव दिया है। इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियों जैसे गूगल, अमेजन और मेटा पर पड़ेगा। भारत का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने तथा व्यापार वार्ता के प्रति लचीला रुख दिखाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इक्विलाइजेशन टैक्स क्या है? (Google Tax)
इक्विलाइजेशन टैक्स, जिसे गूगल टैक्स भी कहा जाता है, एक विशेष कर है जो विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं पर लागू होता है। इस कर का उद्देश्य भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच कर दायित्वों को समान बनाना था। 2016 से लागू इस कर के तहत, अगर कोई भारतीय कंपनी या व्यक्ति विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं जैसे गूगल, मेटा, या अमेजन को 1 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करता, तो उस पर 6% का कर लगता था।
यूं तो हमसे टैक्स वसूलने में हमारी सरकार काफी सख्त है!!
लेकिन जब बात अमेरिका और ट्रंप की आई, तो वहां पिघल गई…
और पिघल गए Google जैसी अमेरिकी कंपनियों से आने वाले लगभग 4000 करोड़ रुपये!
वीडियो देख लीजिए, सेठ ट्रंप ने Starlink के बाद दूसरा झटका कैसे दे दिया, सब समझ में आ… pic.twitter.com/IAA9zFoPxo
— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) March 27, 2025
इस कर का मुख्य उद्देश्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारतीय बाजार में अपनी डिजिटल सेवाओं से होने वाली आय पर कर लगाना था। हालांकि, इसे लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था क्योंकि यह विशेष रूप से विदेशी कंपनियों पर लागू था और भारतीय कंपनियों को इससे छूट थी।
भारत का यह कदम क्यों उठाया गया?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। अमेरिकी कंपनियां लगातार इस कर को भेदभावपूर्ण बताकर विरोध करती रही हैं। अमेरिका ने 2020 में भारत सहित अन्य देशों द्वारा लगाए गए डिजिटल सेवा करों को अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली के खिलाफ बताया था। इससे यह आशंका जताई जा रही थी कि भारत पर अमेरिका से व्यापार प्रतिशोध (Tariff Retaliation) का खतरा बढ़ सकता है।
अमेरिका के दबाव को ध्यान में रखते हुए भारत ने 2020 में 2% ई-कॉमर्स कर को हटाया, लेकिन 6% इक्विलाइजेशन टैक्स जारी रखा था। अब, 2024 में, इस कर को भी हटाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यापार वार्ता को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सके और भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत कर सके।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना
अमेरिका ने जून 2020 में डिजिटल सेवा करों की जांच शुरू की थी और दावा किया था कि ऐसे कर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं। इस फैसले के बाद, भारत सरकार ने 2% ई-कॉमर्स उपकर को हटाकर अमेरिका की चिंताओं का समाधान किया था। अब, 6% इक्विलाइजेशन टैक्स हटाने का प्रस्ताव अमेरिकी कंपनियों के लिए राहत का संकेत हो सकता है।
नांगिया एंडरसन LLP के पार्टनर विश्वास पंजियार ने इस फैसले को एक अस्थायी समाधान बताया है, जब तक कि वैश्विक स्तर पर कर प्रणाली पर एक वैश्विक सहमति नहीं बन जाती। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी कर प्रणाली में ‘सिग्निफिकेंट इकोनॉमिक प्रेजेंस’ (SEP) का प्रावधान किया है, जिससे विदेशी कंपनियों पर कर लगाने का एक वैकल्पिक तरीका सामने आता है।
इक्विलाइजेशन लेवी से सरकार की आमदनी
इक्विलाइजेशन लेवी उन कंपनियों पर लागू होती थी, जो भारतीय संस्थाओं के साथ प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती थीं। सरकार ने इस कर से 2023 के वित्तीय वर्ष में 3,343 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। हालांकि, अमेरिका के साथ जवाबी शुल्क और वैश्विक कर समझौते के बाद पिछले साल अगस्त में 2% लेवी को हटा दिया गया था, लेकिन 6% टैक्स को अब तक जारी रखा गया था।
भारत सरकार का गूगल टैक्स (इक्विलाइजेशन टैक्स) हटाने का निर्णय अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय न केवल अमेरिकी कंपनियों के लिए राहत का संकेत है, बल्कि वैश्विक कर प्रणाली पर भी असर डाल सकता है। भारत की यह रणनीति व्यापार वार्ता में लचीलापन दिखाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के उद्देश्य से उठाई गई है।