Donald Trump News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी सख्त नीतियों के विरोध में एक बार फिर देशभर की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। शनिवार को न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन डी.सी., सैन फ्रांसिस्को, गैल्वेस्टन और बाल्टीमोर समेत अमेरिका के सैकड़ों शहरों में हजारों लोगों ने प्रदर्शन कर अपने गुस्से और नाराजगी का इजहार किया। प्रदर्शन का आयोजन ‘50501’ नामक एक समूह द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य था – 50 राज्यों में 50 विरोध प्रदर्शन और एक साझा जनांदोलन।
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“अमेरिका में कोई राजा नहीं” – नारों से गूंजे शहर (Donald Trump News)
न्यूयॉर्क में प्रदर्शनकारियों की भीड़ शहर की मुख्य लाइब्रेरी के बाहर जुटी। हाथों में “No Kings in America” और “Resist Tyranny” जैसे नारे लिखे बैनर लिए लोग साफ संदेश दे रहे थे कि वे किसी भी तरह की तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस भीड़ का एक बड़ा हिस्सा ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियों से आहत था।
इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आया
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने जोरदार नारे लगाए – “No ICE, no fear, immigrants are welcome here”। यह नारा अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी ICE के खिलाफ था, जो अवैध प्रवासियों को हिरासत में लेने के लिए बदनाम रही है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन प्रवासियों के प्रति न सिर्फ सख्त बल्कि अमानवीय रवैया अपना रहा है।
वॉशिंगटन डी.सी. में दिखा संविधान बचाने का संकल्प
राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. में प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस के बाहर जमा हुए और ट्रंप प्रशासन पर संवैधानिक सिद्धांतों को कमजोर करने का आरोप लगाया। 41 वर्षीय बेंजामिन डगलस ने कहा, “यह सरकार कानून के शासन और नागरिक अधिकारों पर हमला कर रही है।” उन्होंने फिलिस्तीनी समर्थक छात्र महमूद खलील की रिहाई की मांग भी उठाई और विदेशी विरोध को बढ़ावा देने के प्रयासों की निंदा की।
ट्रंप की तुलना हिटलर से, विरोध में लहराया उल्टा झंडा
73 वर्षीय कैथी वैली, जो होलोकॉस्ट से बचे लोगों की बेटी हैं, ने कहा कि वर्तमान हालात उन्हें नाजी दौर की याद दिला रहे हैं। उन्होंने ट्रंप को “कमजोर लेकिन खतरनाक” बताया और चेतावनी दी कि अगर अब भी लोग नहीं जागे तो लोकतंत्र को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सैन फ्रांसिस्को में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने समुद्र तट पर “IMPEACH + REMOVE” लिखकर अपनी भावनाएं जाहिर कीं, वहीं कई लोगों ने संकट का प्रतीक माने जाने वाला उल्टा अमेरिकी झंडा भी लहराया।
विज्ञान और स्वास्थ्य फंडिंग में कटौती पर नाराजगी
बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा डैनिएला बटलर ने ट्रंप प्रशासन द्वारा साइंस और पब्लिक हेल्थ के बजट में की गई कटौती को लेकर चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि “जब विज्ञान को नजरअंदाज किया जाता है, तो उसका खामियाजा लोगों को जान देकर चुकाना पड़ता है।”
“अब चुप नहीं रह सकते” – टेक्सास में लेखिका की चेतावनी
टेक्सास के गैल्वेस्टन में हुए विरोध में शामिल 63 वर्षीय लेखिका पैट्सी ओलिवर ने कहा कि यह उनका चौथा विरोध प्रदर्शन है। उन्होंने साफ कहा कि अब सिर्फ अगले चुनाव का इंतजार करना काफी नहीं, क्योंकि “हम पहले ही बहुत कुछ खो चुके हैं।”
भीड़ थोड़ी कम, लेकिन आवाज बुलंद
हालांकि आयोजकों को उम्मीद थी कि लाखों लोग सड़कों पर उतरेंगे, लेकिन बीते 5 अप्रैल को हुए ‘Hands Off’ प्रदर्शनों की तुलना में इस बार भागीदारी थोड़ी कम दिखी। फिर भी देशभर में करीब 400 जगहों पर लोगों ने ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर अपना विरोध दर्ज कराया।
इस देशव्यापी प्रदर्शन से साफ है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जन असंतोष अब भी जीवित है और लोग लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के लिए अपनी आवाज उठाने को तैयार हैं।