मोहनजोदड़ो में खुदाई के दौरान बौद्ध मंदिर से मिली 2000 साल पुरानी ये खास चीज

Mohenjodaro
Source-Google

पाकिस्तान में पुरातात्विद को एक खुदाई के दौरान कुछ खास चीजें मिली है. यह ऐतिहासिक खोज पाकिस्तान में मोहनजोदड़ो वाली साइट पर एक बौद्ध मंदिर के अवशेषों में हुई है. जिन्हें बौद्ध के स्तूप भी कहा जाता है. इस जगह पर तांबे के सिक्कों से भरा एक बर्तन मिला. जिससे कुषाण साम्राज्य के समय का माना जा रहा है. वैसे तो कुषाण साम्राज्य के दौरान बौद्ध धर्म काफी तेजी से फैलने वाला धर्म था. जिसकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढती जा रही थी.

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बौद्ध स्तूपों के नीचे मिले तांबे के सिक्के

पाकिस्तान में स्थित यूनेस्को के वैश्विक धरोहर स्थल मोहनजोदड़ो के एक स्तूप से तांबे के सिक्कों से भरा एक बर्तन मिला. Live Science के अनुसार दुनिया की सबसे पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता के शहर मोहनजोदड़ो में खुदाई के दौरान एक दिवार से तांबे के सिक्के मिले है. जिस स्तूप से ये सिक्के मिले है वो आज पाकिस्तान के दक्षिण-पूर्व में स्थित है.

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पाकिस्तान के संरक्षण विभाग के निदेशक सैयद शाकिर शाह के अनुसार उस मदिर की दिवार गिर गई थी, जिसके बाद उसकी खुदाई की जा रही थी. तभी मजदूरों की नज़र एक बर्तन पर पड़ी. उस बर्तन को निकला गया तो उसमे तांबे के सिक्के थे. जिसके बाद संरक्षण विभाग द्वारा अधिकारियों को जानकारी दी गई. टीम ने इन सिक्कों को लैब भेज दिया. और बताया गया कि एक लम्बे समय बाद मोहनजोदड़ो से कोई चीज़ मिली है. जो आगे चलाकर हमारे इतिहास को उजागर क्र सकता है.

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पाकिस्तान के संरक्षण विभाग के निदेशक सैयद शाकिर शाह ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि ये स्तूप मोहनजोदड़ो के पतन के 1600 सालों बाद उसके खंडहरों पर बनाया गया था. मिले गए तांबे के सिक्कों का वजन लगभग 5.5 किलोग्राम है, और उन सिक्कों की संख्या 1000 से 1500 तक है. इन सिक्कों पर जो आकृति पाई गई है वो कुषाण राजाओं की हो सकती है. जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि बौद्ध मंदिर में मिले ये तांबे के सिक्के कुषाण साम्राज्य के वक्त के हो सकते है. जिस समय बौद्ध धर्म की काफी व्यापकता थी.

साथ ही बताया गया की 1930  से पहले ब्रिटिशों को भी ऐसे ही 1000 तांबे के सिक्के मिले थे. सिन्धु सभ्यता का मोहनजोदड़ो शहर सबसे बड़ी बस्ती हुआ करती थी. जिसके पतन के कारणों का आज तक नहीं पता चला है. मोहनजोदड़ो के पतन पर केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है. मोहनजोदड़ो का पतन अब तक रहस्यमय है.

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