भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। पिछले साल अप्रैल-मई में दोनों देशों के बीच तनातनी शुरू हुई थी। भारत-चीन फिलहाल बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश तो कर रहे हैं। लेकिन ड्रैगन बार-बार बातचीत का ठोंग रचकर आंखों में धूल झोंकने का काम करता आ रहा है। बातचीत की टेबल पर विवाद सुलझाने की बात करने वाला चीन बार-बार उकसाने वाली कार्रवाई लगातार करता रहता है।
बीते साल जून के महीने में भारत चीन के हालात उस वक्त काफी बिगड़ गए थे, जब दोनों देश के सैनिकों में खूनी झड़प हो गईं। इस दौरान भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए। वहीं चीन ने तो आज तक अपने यहां पर नुकसान के बारे में दुनिया से छिपाकर रखा है। चीन ने अब तक ये नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक इस झड़प में मारे गए।
शहीद सैनिकों को वीरता पुरस्कार देने पर चिढ़ा चीन
यही वजह है कि जब भारत ने गलवान घाटी में शहीद हुए अपने सैनिकों को सम्मान दे रहा है, तो उससे ड्रैगन को मिर्ची लग रही है। दरअसल, गणतंत्र दिवस के मौके पर गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को वीरता पुरस्कार देने का ऐलान किया, तो इससे चीन को चिढ़ मच गई और इसे तनाव बढ़ाने वाला कदम बताने लगा। बता दें कि गणतंत्र दिवस से पहले गलवान घाटी में शहीद 20 सैनिकों को वीरता पुरस्कार देने का ऐलान हुआ।
बताया उकसाने वाला कदम
चीनी सरकार के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा कि नौवें दौर की बातचीत से विवाद सुलझाने के लिए सकारात्मकता देखने को मिली थीं। चीन लगातार चीजों को शांत करने के लिए गुडविल संदेश दे रहा है, लेकिन भारत के उकसाने वाले कदमों से दुनिया और हमारे लोगों को यही संदेश जाएगा कि भारत सीमा विवाद नहीं सुलझाना चाहता। वो सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं चाहता।
चीनी एक्सपर्ट ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि कोरोना महामारी, आर्थिक मंदी और किसानों के आंदोलन की वजह से घिरा भारत, चीन विरोधी कदम उठाकर लोगों के ध्यान को भटकाना चाह रहा है। उन्होनें ये भी कहा कि सर्दी खत्म होने के बाद भी ये गतिरोध जारी रहेगा और चीन को अलर्ट रहने की जरूरत है।
तो इसलिए चीन को लगी मिर्ची
ऐसा माना जा रहा है कि चीन ऐसा इसलिए कह रहा है क्योंकि उसने अपने सैनिकों को वो सम्मान नहीं दिया, जो भारत के सैनिकों को मिल रहा है। जिसके चलते चीन को ये डर सताने लगा कि इसके चलते उसके सैनिक भी सम्मान और हक मांग सकते हैं। बीते साल गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों का आंकड़ा चीन ने नहीं बताया। उनको चुपचाप ही दफना दिया गया था।