सेना दिवस 15 जनवरी को थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Narvane) ने एक बयान दिया था, जिससे चीन (China) एक बार फिर चिड़ गया है। नरवणे के बयान पर आपत्ति जताते हुए चीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ खूब जहर उगला। चीनी सरकार के भोंपू यानी ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने नवरणे के बयान पर जमकर जहर उगला है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में उनके बयानों को लेकर कहा है कि भारत ने घरेलू संघर्ष से ध्यान भटकाने के लिए चीन विरोधी बयानबाजी को तेज किया है। यही नहीं चीनी मीडिया ने इस दौरान दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) और भारत में कोरोना की तीसरी लहर का भी जिक्र किया है। ग्लोबल टाइम्स ने साथ ही ये भी कहा कि भारतीय सेनाध्यक्ष का बयान कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के विपरीत है।
बता दें कि शनिवार को जनरल नरवणे ने भारत-चीन विवाद पर बात करते हुए कहा था कि हमारा धैर्य हमारा आत्मविश्वास है, लेकिन इसको परखने की किसी को भी गलती नहीं करनी चाहिए। देश की सीमाओं पर सेना की यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने की किसी भी कोशिश का सामना करने के लिए हमारी थल सेना दृढ़ता के साथ खड़ी है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि भारतीय सेना मौजूदा और भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए उच्च स्तर की अभियान संबंधी तत्परता रखती है।
थल सेनाध्यक्ष नरवणे के इस बयान को लेकर ही ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि कि नरवणे का बयान बुधवार को चीन-भारत के बीच हुई कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बैठक के दौरान दिए गए सकारात्मक संकेतों के अनुरूप नहीं है। इस दौरान चीनी अखबार ने ये भी दावा किया कि भारत ने 3 महीने पहले जब 13वें दौर की बैठक हुई थी तो इस दौरान अनुचित और अवास्तविक मांगों पर जोर दिया था, लेकिन इस बार 14वें दौर की बैठक में माहौल अपेक्षाकृत अच्छा था। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष यथाशीघ्र काम करने और जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रभावी उपाय करने पर सहमत हुए।
ग्लोबल टाइम्स ने आगे कहा कि जनरल नरवणे ने भारतीय सेना के अंदर प्रचलित चीन विरोधी बातों को दोहराया। साथ ही साथ ग्लोबल टाइम्स ने दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने चीन को भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया था। रिपोर्ट में दावा किया कि उनकी टिप्पणी दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर चीन और सरकार के बीच बनी आम सहमति के खिलाफ गई थी। हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी मौत होने के बाद जनरल नरवणे को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारियां सौंपी गई।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि जनरल नरवणे ने CDS के तौर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए जनरल रावत के चीन विरोधी रुख को जारी रखा। यही नहीं आगे उसने लिखा कि लंबी अवधि के टकराव के बाद भारत ने ये महसूस किया है कि बल द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा की यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का उसका प्रयास सफल नहीं हो सकता। भारत सिर्फ कमांडर स्तर पर या फिर चीन के साथ राजनयिक स्तर की बातचीत के जरिए ही समस्याओं को सुलझा सकता है। उसके पास यही एकमात्र रास्ता है।
रिपोर्ट में दावा किया कि भारतीय सेना अपना चेहरा बचाने के लिए चीन विरोधी बयानबाजी करती है। यही नहीं ग्लोबल टाइम्स ने आगे भारत में कोरोना की तीसरी लहर का भी जिक्र किया गया। इसमें कहा गया कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर पैदा हो गई है, जिससे भारत के आर्थिक विकास को झटका लगा। ऐसे में भारतीय सेना और राजनेता पाकिस्तान- चीन का जिक्र कर लोगों का ध्यान घरेलू कलह से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत की तरफ चीन-पाकिस्तान का इस्तेमाल लोगों के बीच राष्ट्रवादी भावनाएं भड़काने के लिए करता है।