
इस बार के बजट से लोगों को काफी उम्मीदें थीं। कोरोना काल में पेश किए गए बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस किया गया। लेकिन इस दौरान रक्षा बजट में हुई मामूली बढ़ोत्तरी को लेकर सवाल खड़े होने लगे। वो भी ऐसे वक्त में जब भारत की चीन का सीमा विवाद महीनों से जारी हैं। विपक्षी पार्टियों ने रक्षा बजट को लेकर केंद्र को घेरा।
कांग्रेस नेता ने भी इसको लेकर सवाल उठाए थे। इस मामले पर ट्वीट कर उन्होनें कहा था- ‘चीन ने भारत भूमि पर कब्जा कर लिया और हमारे सैनिकों को शहीद कर दिया। PM फोटो-ऑप के लिए उनके साथ दिवाली मनाते हैं। उन्होनें जवानों के लिए रक्षा बजट क्यों नहीं बढ़ाया।’
दरअसल, ऐसी उम्मीद थीं कि चीन और पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच सेना के आधुनिकीकरण और साजो सामान की खरीद के लिए रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी की जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बार रक्षा बजट में मामूली बढ़ोत्तरी की गई। पिछली बार का रक्षा बजट 4.71 लाख करोड़ था, जबकि इस बार इसे बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ कर दिया गया।
अब भारत के रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी नहीं होने को लेकर चीन की मीडिया भी कूद गई है और इस पर तंज कस रही है। चीनी सरकार के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने भारत के रक्षा बजट पर कमेंट किया। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि इस बजट के साथ भारत को चीन के साथ किसी लंबे संघर्ष में बढ़त हासिल नहीं हो पाएगी।
ग्लोबल टाइम्स ने एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा कि रक्षा बजट में मामूली बढ़त कर और केवल हथियार खरीदकर भारत अपनी सेना का आधुनिकीकरण नहीं कर सकता। एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा गया कि दूसरे देशों से हथियार खरीदकर भारत को वो सैन्य बढ़त नहीं मिल पाएगी, जो चीन के साथ सीमा विवाद में वो चाहता है।
ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग के हवाले से कहा कि भारत की इकोनॉमी में कोरोना महामारी के चलते भारी गिरावट आई। इन हालातों में भारत सरकार अपनी सेना पर काफी ज्यादा पैसा नहीं कर सकती।
वहीं ग्लोबल टाइम्स में शिंगुआ यूनिवर्सिटी में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के डायरेक्टर कियान फेंग ने कहा कि बीते कुछ सालों से भारत अपने रक्षा बजट में ठीक ठाक ही इजाफा कर रहा था, लेकिन इस बार वित्तीय संकट के चलते मामूली बढ़त हुई। ये मानना भ्रामक होगा कि भारत दूसरे देशों से हथियार खरीदकर अपनी सैन्य क्षमता को सुधार लेगा।
चीन के अखबार ने कहा कि विदेशों से भारत हथियार खरीद रहा है, लेकिन उसके रखरखाव पर काफी खर्चा होगा, जो फिजूलखर्ची है। चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि इससे कुछ समय के लिए तो भारत की सैन्य क्षमता बढ़ जाएगी, लेकिन लंबे समय तक ये शॉर्टकट काम नहीं आएगा।
चीन को भारत की इतनी चिंता सता रही है या फिर ये उसका डर है, जिसके चलते वो ये बातें कर रहा है। दरअसल, मोदी सरकार की सत्ता में आने के बाद से सीमाई इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी आई, जिसकी वजह से चीन की चिंता बढ़ी हुई है। पहले भी चीनी विदेश मंत्रालय के कई बयानों में पड़ोसी देश की बौखलाहट साफ तौर पर देखने को मिली है।
गौरतलब है कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार चीन का रक्षा बजट भारत के मुकाबले चार गुना ज्यादा है। मई 2020 में चीन ने अपने रक्षा बजट के लिए सालाना 178 अरब डॉलर आवंटित किए गए।
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