Balochistan Rescue Operation: पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का रेस्क्यू ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। सेना के अनुसार, इस अभियान में 24 घंटे से अधिक समय लगा और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया गया। इसके अलावा, उनके कब्जे से सभी बंधकों को सुरक्षित छुड़ा लिया गया है।
कैसे हुआ हमला? (Balochistan Rescue Operation)
यह घटना मंगलवार सुबह उस समय घटी जब पाकिस्तान के क्वेटा से जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पेशावर के लिए रवाना हुई थी। दोपहर 1.30 बजे जब ट्रेन सिब्बी पहुंचने वाली थी, तभी बोलान के माशफाक टनल में हमला हुआ। यह इलाका पहाड़ी है और इसमें 17 सुरंगें हैं, जिससे ट्रेन की गति धीमी करनी पड़ी। इसी मौके का फायदा उठाते हुए बीएलए ने टनल नंबर-8 को विस्फोट से उड़ा दिया, जिससे ट्रेन बेपटरी हो गई और विद्रोहियों ने इसे हाईजैक कर लिया।
बंधकों की स्थिति और रेस्क्यू ऑपरेशन
ट्रेन में कुल 440 यात्री सवार थे, जिनमें से बीएलए लड़ाकों ने 21 यात्रियों की हत्या कर दी थी, जिनमें चार पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल थे। पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 200 से अधिक बंधकों को सुरक्षित निकाल लिया। इससे पहले बुधवार को बीएलए ने 150 से अधिक बंधकों को स्वेच्छा से रिहा कर दिया था।
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि महिलाओं और बच्चों सहित कुल 212 यात्रियों को छुड़ा लिया गया है। हालांकि, इस अभियान में 21 बंधकों की जान चली गई। सेना ने यह भी दावा किया कि सभी 33 विद्रोहियों को मार गिराया गया है।
BLA की रणनीति और सेना की प्रतिक्रिया
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन के दौरान बंधकों की निगरानी कर रहे कुछ आत्मघाती हमलावर मौके से भाग निकले। सेना ने यह भी आरोप लगाया कि बीएलए के विद्रोही सैटेलाइट फोन के जरिए अफगानिस्तान में स्थित अपने हैंडलर्स के संपर्क में थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन कई चरणों में पूरा किया गया। पहले चरण में कुछ बंधकों को छुड़ाकर क्वेटा भेजा गया, जबकि दूसरे चरण में बाकी बंधकों को पड़ोसी माछ इलाके में सुरक्षित पहुंचाया गया।
बलूचिस्तान: अशांति और संघर्ष का क्षेत्र
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे अशांत प्रांत माना जाता है, जहां 1948 से ही पाकिस्तानी सेना और बलूच अलगाववादियों के बीच संघर्ष जारी है। बलूच समूह लंबे समय से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं और समय-समय पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले करते रहते हैं। हाल के वर्षों में चीन ने इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है और कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिससे यहां सुरक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं।