रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच इस मसले पर भारत के स्टैंड को लेकर खासा चर्चाएं हो रही हैं। पूरे विवाद को लेकर भारत ने शुरू से लेकर अब तक एक ही रूख अपनाए रखा है और इसे बदला नहीं। भारत इस दौरान ना तो किसी का पक्ष ले रहा है और ना ही किसी के खिलाफ बोल रहा है। वो बस युद्ध खत्म करने और बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की बात कह रहा है।
एक ओर जहां इस जंग के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन जैसे तमाम देश खुलकर रूस के खिलाफ बोल रहे है और उस पर तमाम प्रतिबंध लगाकर उसे घेरने की कोशिश कर रहे हैं। तो दूसरी ओर भारत निष्पक्ष रहने की कोशिश कर रहा है। रूस के खिलाफ लाए जा रहे तमाम प्रस्तावों पर भी भारत वोटिंग से खुद को दूर रख रहा है।
रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UNSC) में प्रस्ताव पर तीन बार वोटिंग हुई। जिस दौरान भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लेकर अपने स्टैंड पर बना रहा। वहीं इस बीच अब भारत का यही रवैया अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा। खबर ये आई है कि अब अमेरिका भारत के खिलाफ भी एक्शन लेने पर विचार करने लगा है।
दरअसल, बताया जा रहा है कि जो बाइडेन प्रशासन इस वक्त विचार कर रहा है कि रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर भारत के खिलाफ काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाए जाएं या नहीं।
कहा जा रहा है कि रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव के दौरान वोटिंग से भारत के दूरी बनाए रखने के चलते अमेरिका नाराज हो गया। वोटिंग के दौरान भारत उन 35 देशों में शामिल रहा, जिसने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इसको लेकर ही अमेरिकी संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसकों ने भारत के कदम आलोचना की।
सांसदों ने इस दौरान इस पर चर्चा की कि रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम रूस से खरीदने के लिए क्या CAATSA के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे या नहीं? बता दें कि CAATSA के तहत अमेरिकी प्रशासन को ये अधिकार मिलता है कि वो ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकता है। CAATSA अमेरिका का एक कठोर कानून है। ये कानून 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जे और 2016 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में पुतिन के कथित दखल के बाद लाया गया था। कानून का मकसद रूस से किसी दूसरे देश को हथियारों की खरीदी रोकना है।
बता दें कि अमेरिका इसी हथियार को खरीदने के लिए तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है, जबकि वो नाटो का सदस्य है। वहीं भारत पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अमेरिकी डिप्लोमेट लु ने कहा कि बाइडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ा है, लेकिन उसने अभी पाबंदियों को लेकर आखिरी फैसला नहीं लिया। उन्होंने कहा- ‘मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि भारत हमारा महत्वपूर्ण सुरक्षा साझेदार है। हम इस साझेदारी के साथ बढ़ने को महत्व देते हैं।’