पूरी दुनिया की निगाहें इस समय अफ्रीका की एक झील पर टिकी हैं। वैज्ञानिक भी इस झील को लेकर सतर्क हैं और इसकी जांच कर रहे हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि इस झील में कुछ खास है या इस झील में कुछ छिपा है, इसलिए अफ्रीका की इस झील की चर्चा हो रही है, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह झील अपनी विशेषता के लिए नहीं बल्कि अपने डर की वजह से मशहूर हो रही है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं अफ्रीका की किवु झील की, जो पानी का एक विशाल भंडार है, जो बिना किसी चेतावनी के कभी भी फट सकता है। इसका कारण इस झील के नीचे काफी गहराई पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मीथेन का विशाल भंडार है। यह झील रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सीमा पर स्थित है।
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ये झील कितनी लंबी है?
चिंताजनक बात ये है कि अफ्रीका की दो अन्य झीलों में भी ऐसी ही जानलेवा स्थिति है, जो पिछले 40 सालों में फट चुकी हैं। जिससे अनगिनत जानवर मारे गए। कीवु झील इन दोनों से काफी बड़ी है. अगर ये फटती है तो बड़ी तबाही से इंकार नहीं किया जा सकता। कीवु झील करीब 55 मील (करीब 89KM) लंबी है। ये झील 30 मील (करीब 48KM) चौड़ी और करीब 1560 फीट गहरी है। इस झील का आकार और संरचना काफी जोखिम भरी है। वहीं, परतदार संरचना के कारण खतरा भी ज्यादा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, झील के ऊपरी हिस्से में सिर्फ 200 फीट पानी मिला हुआ है। नीचे का बाकी पानी अस्थिर है। कीवु झील में विस्फोट की आशंका के पीछे एक और वजह भी सामने आई है।
This lake can explode without warning, kill thousands of people and animalshttps://t.co/rXmQLQGOUJ
— Interesting Engineering (@IntEngineering) July 28, 2024
किवु झील के तल में कितनी मीथेन है?
मिनेसोटा डुलुथ विश्वविद्यालय में भौतिक और भू-रासायनिक लिम्नोलॉजी के प्रोफेसर सर्गेई कात्सेव ने नेशनल जियोग्राफिक को बताया कि किवु झील के तल पर लगभग 72 क्यूबिक मील (300 क्यूबिक किलोमीटर) CO2 और 14 क्यूबिक मील (60 क्यूबिक किलोमीटर) मीथेन है, जिसमें पृथ्वी की सतह से निकलने वाली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस भी शामिल है। यह जहरीला कॉकटेल जल्द ही आस-पास के घनी आबादी वाले इलाके में फैल सकता है।
कनाडा की कंपनी बना रही झील बचाने की योजना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा की हाइड्रैगस एनर्जी जैसी कुछ कंपनियां गैसों को निकालने की योजना पर काम कर रही हैं। हाइड्रैगस एनर्जी के संस्थापक फिलिप मोर्केल ने कहा कि निष्कर्षण की प्रक्रिया बिजली उत्पादन की दिशा में फायदेमंद हो सकती है।