अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के पहले ही राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर फरार हो गए थे। अफगानी नागरिकों को बीच अधर में छोड़कर भागने वाले इस राष्ट्रपति की जमकर आलोचना हो रही है। देश के सर्वोच्च पद पर बैठे किसी भी शख्स की पहली जिम्मेदारी होती है, देश और देशवासियों की सुरक्षा…लेकिन जब अफगानिस्तान के लोगों को इसकी जरुरत पड़ी तो राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए।
जिसके बाद राजधानी काबुल समेत अफगानिस्तान के सभी प्रांतो पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। अशरफ गनी पर अफगानिस्तान के सरकारी खजाने से पैसे लेकर भागने के आरोप भी लग रहे हैं। फिलहाल वह संयुक्त अरब अमीरात में हैं। संयुक्त अरब अमीरात का कहना है कि उसने मानवीय आधार पर गनी और उनके परिवार को शरण दी है।
शांति से सौंपना चाहते थे सत्ता
इसी बीच देश छोड़कर भाग निकले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। उन्होंने पैसे लेकर भागने वाले उन सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि वह पैसे लेकर नहीं भागे हैं यह सरासर गलत आरोप है। अशरफ गनी ने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि अगर वे वहीं रुकते तो और खून खराबा होता।
उन्होंने कहा कि वह शांति से सत्ता सौंपना चाहते थे, अफगानिस्तान छोड़कर उन्होंने देश के लोगों खूनी जंग से बचाया है। अपने वीडियो संदेश में अशरफ गनी ने कहा कि वो देश छोड़कर नहीं जाते तो कत्लेआम हो जाता, खून खराबा होता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो कह रहे हैं कि मैं भाग गया हूं वो सच्चाई से वाकिफ नहीं है।
50 लोगों के साथ देश से भागे अशरफ गनी
बताते चले कि तजाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अघबार ने अशरफ गनी पर आरोप लगाए थे कि वह सरकारी खजाने से 16.9 करोड़ डॉलर की चोरी करके भाग गए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पुलिस से गनी को गिरफ्तार करने की मांग की है। गौरतलब है कि तालिबान के कब्जे से पहले ही अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। जिनमें इनकी पत्नी रूला गनी, पूर्व अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब और क्रिकेटर मोहम्मद नबी समेत 50 लोग शामिल हैं।