भारत की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की संघर्ष की कहानी, 10 रोचक बातें

By Nedrick India | Posted on 10th Mar 2023 | इतिहास के झरोखे से
Savitribai Phule

Savitribai Phule (सावित्रीबाई फुले), एक ऐसा चेहरा जिन्होंने महिलाओं के उत्थान हेतु पहली ज्योत जलाई. एक ऐसा नाम जिन्हें आज भी लोग सम्मान के साथ याद करते हैं. नारी सशक्तिकरण की प्रतीक और नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता रही फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त है. उन्होंने यह उपलब्धि तब हासिल की, जब महिलाओं का शिक्षा ग्रहण करना तो दूर, घर से निकलना तक दूभर था. 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा के एक दलित परिवार में उनका जन्म हुआ था लेकिन समाज की कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेंकने में उन्होंने अपना जीवन खपा दिया.

आज भी देश की अधिकांश महिला इस बात से अंजान हैं कि अगर आज वे शिक्षित हैं, रोजगार के योग्य हैं, समाज में हक की लड़ाई लिए आवाज उठा रही हैं तो यह सब सावित्रीबाई फुले के प्रयासों का ही परिणाम है. लड़कियों को पढ़ाने की पहल के लिए उन्हें महिलाओं का ही जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था. कहा तो यह भी जाता है कि रास्ते पर चलने के दौरान महिलाएं उन पर गोबर, कूड़ा और पत्थर फेंकती थी क्योंकि उन्हें लगता था कि लड़कियों को पढ़ाकर सावित्रीबाई फुले धर्म विरूद्ध काम कर रही हैं. 10 मार्च, 1897 को प्लेग से जूझते हुए उनका निधन हो गया था.

आज उनकी पुण्यतिथि पर हम आपके लिए सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule 10 facts) से जुड़े 10 रोचक बातें लेकर आए हैं.

सावित्री बाई फुले के बारे में 10 खास बातें

1.सावित्रीबाई फुले ने समाज के प्रत्येक वर्ग में बालिका शिक्षा के प्रति जागृति लाने का प्रयास किया और विधवा महिलाओं को पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित करने वाली वह पहली महिला थीं.

2. महाराष्ट्र के सतारा में जन्मीं सावित्रीबाई फुले की माता का नाम लक्ष्मी और पिता का नाम खांडोजी नेवेशे पाटिल था. वह घर की पहली संतान थीं.

3. केवल 13 वर्ष की उम्र में सावित्रीबाई की शादी महाराष्ट्र के  महानतम समाज सुधारकों में से एक ज्योतिराव फुले से हो गया.

4. सावित्रीबाई ने पढ़ना और लिखना सीखा और जल्द ही सगुनाबाई के साथ पुणे के महारवाड़ा में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया, जो उनके पति ज्योतिराव की गुरु थीं.

5. फुले ने अपने पति के साथ, 1848 में भिडेवाडा में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू किया. स्कूल का पाठ्यक्रम पश्चिमी शिक्षा पर आधारित था. इसमें गणित, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन शामिल थे. बताया जाता है कि 1851 तक, सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले पुणे में तत्कालीन समाज के प्रतिरोध के बावजूद लगभग 150 लड़कियों की क्षमता के साथ तीन स्कूल चला रहे थे .

6. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सावित्राबाई ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए कुल 18 स्कूल खोले थे.

7. फुले ने 19वीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया.

8. उन्होंने मजदूरों के लिए रात्रि में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जानें वाले मजदूर रात में पढ़ाई कर सकें।  

9. सावित्रीबाई ने विधवाओं के सिर मुंडवाने की प्रथा के विरोध में मुंबई और पुणे में नाइयों की हड़ताल का आयोजन किया था.

10. सावित्रीबाई (Savitribai Phule) और उनके पति की कभी कोई संतान नहीं थी लेकिन उन्होंने एक लड़के को गोद लिया था  जिसका नाम यशवंतराव था.

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नेड्रिक न्यूज डेस्क

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