गुरु नानक देव जी के किस्सों की वैसे तो भरमार है। जिनमें उन्होंने बहुत से चमत्कार, सही राह दिखाने का काम, लोगों को संदेश और उपदेश देने जैसे बड़े-बड़े महान काम किए। लेकिन उनका एक किस्सा ऐसा भी है जब उन्होंने एक मजनू को दर्शन दिए थे। उस मजनू से मिलने गुरु नानक देव जी खुद मीलों की दूरी तय कर गए थे। तो आज हम यहीं मशहूर किस्सा आपको बताने जा रहे है। आइए किस्से की ओर रुख करते है।
ये किस्सा 20 जुलाई 1505 के उस जगह का है जिसे आज राजधानी दिल्ली कहा जाता है। यहां यमुना किनारे एक फकीर रहता था, जिसका नाम अब्दुल्ला था। अब्दुल्ला परमात्मा में विश्वास रखने वाला शख्स था। एक दिन यमुना किनारे ही एक मुसाफिर आया और उसने अब्दुल्ला से थोड़ी बातचीत की।
इस दौरान मुसाफिर ने अब्दुल्ला को गुरु नानक देव जी के बारें में बताया। गुरु जी के बारें में सुनकर फकीर के मन में गुरु जी से मिलने की इच्छा जागी। उसने अपने मन में सोचा कि सच्चे बादशाह मैने सुना है कि आप अंतरयामी है। और अगर सच में ऐसा है तो आप मुझे दर्शन दीजिए। अंतरयामी होने के नाते आप ये तो जानते होंगे कि मैं आपके पास खुद चलकर नहीं आ सकता। इसलिए आप मुझे किसी तरह से दर्शन दीजिए।
फकीर के मन की बात गुरुजी तक पहुंच गई। जिसे सुनकर गुरु जी खुद तकरीबन 6 किलो मीटर की दूरी तय करके फकीर को दर्शन देने पहुंचे। जिसके बाद फकीर के दर्शन की इच्छा पूरी हुई। ऐसे में गुरु नानक देव जी ने उससे अपनी इच्छा की कोई भी मांग करने को कहा। लेकिन फकीर ने गुरु जी से कहा कि गुरु जी आपके दर्शन हो गए, मैं बस यही चाहता था। आपने मुझे दर्शन देकर मेरा जीवन सफल बना दिया है। फकीर की इस बात से खुश होकर गुरु जी ने उसे वचन देते हुए कहा कि, हे फकीर ये जगह तो हमारी होगी.. लेकिन इसे जाना तुम्हारे नाम से जाएगा।
उस समय में लोग उस फकीर को अब्दुल्ला फकीर और मजनू के नाम से जानते थे। और जिस अब्दुल्ला फकीर उर्फ मजनू से गुरु नानक देव जी की मुलाकात हुई थी, उसी मजनू के नाम पर गुरुद्वारा मजनू टीला साहिब रखा गया है। mythological beliefs के मुताबिक, ईरानी सूफी अब्दुल्ला जो मजनू या फिर प्रेम में दीवाना कहलाता था, उसकी मुलाकात इसी जगह पर सिखों के गुरु गुरु नानक देव से हुई थी। तभी से इसका नाम मजनू का टीला पड़ गया। आज भी यहां बड़ी संख्या में प्रेम के दीवाने मजनू इसी जगह पर आशीर्वाद लेने आते है।
गुरु नानक देव जी और मजनू का ये किस्सा काफी दिलचस्प था। इससे मालूम होता है कि गुरु जी के दर्शन की चाह रखने वाले किसी भी शख्स की मनोकामना गुरु जी जरुर पूरी करते थे। यही वजह है कि गुरु नानक देव जी ने मजनू उर्फ अबदुल्ला फकीर की इच्छा भी पूरी की।
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