12 अगस्त,1997 को हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए काला दिन था। क्यूंकि इसी दिन भारत के म्यूजिक की सबसे बड़ी कंपनी टी-सीरीज के संस्थापक और बॉलीवुड के फिल्म निर्माता गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। गुलशन कुमार की बेरहम हत्या (Gulshan Kumar Murder) ने पूरे देश को झकझोर दिया था। गुलशन कुमार की हत्या के उतने दिन बाद भी जब कोई हत्या का जिक्र करता है तो लोगों की रूह कांप जाती है। कि कैसे इतनी सुरक्षा में रहने वाला इंसान की इस क़द्र बेरहमी से हत्या करवाई जा सकती है तो आम इंसानों का क्या होगा ?
जब गुलशन कुमार पूजा के लिए निकले
बात 12 अगस्त 1997 की है, जब 42 साल के गुलशन कुमार हमेशा की तरह सुबह के करीब साढे आठ बजे हाथ में पूजा की सामाग्री लिए, माला जपते हुए अंधेरी के जीतेश्वर मंदिर की ओर जा रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था कि ये उनके जीवन का आखिरी बार मंदिर दर्शन होगा, क्यूंकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। तकरीबन साढ़े दस बजे मंदिर के सीढ़ियों से उतरते समय गुलशन कुमार पर हत्यारों द्वारा ताबड़तोड़ 16 गोलियां दागी गई , जिसके चलते गुलशन कुमार ने मंदिर की सीढ़ियों पर ही दम तोड़ दिया। गोलियां दागते वक़्त हत्यारों ने गुलशन कुमार से कहा था- बहुत करली पूजा पाठ। आपको बता दें , जिस देसी तमंचे से गुलशन कुमार की हत्या की गई थी,उस पर बम्हौर लिखा था।
जैसे ही ये खबर देश की मीडिया को लगी मानों पूरे देश में सन्नाटा छा गया। सब लोग का एक ही रिएक्शन था? क्या और क्यों, गुलशन कुमार जैसे भले आदमी की हत्या इतनी बेरहमी से क्यों की गई? बॉलीवुड इंडस्ट्री समेत पूरे देश के लोग स्तब्ध थे। पूरे देश में शोक की लहर थी। गुलशन कुमार की मौत के बाद पता चला कि हत्या वाले दिन गुलशन कुमार बिना सुरक्षा के मंदिर गए थे। क्यूंकि उनका गनमैन उस दिन बीमार हो गया था। गुलशन कुमार के हत्यारों का पता लगाने में मुंबई पुलिस जांच में जुट गई। तबतक सभी के दिमाग में एक ही प्रश्न कचोट रहा था कि गुलशन कुमार से भला किसकी दुश्मनी हो सकती है?
गुलशन कुमार की हत्या के पीछे फिरौती का एंगल
अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के राइट हैंड माने जाने अबू सलेम ने गुलशन कुमार से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। लेकिन गुलशन कुमार ने फिरौती देने से इनकार कर दिया था, जिससे अबू सलेम बोखलागया था और उसने दो शार्प शूटरों को गुलशन कुमार की हत्या की सुपारी दे डाली। इस फिरौती वाले एंगल पर महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी राकेश मारिया ने खुद न्यूज एजेंसी ‘आईएएनएस’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘मुझे 12 अप्रैल 1997 को एक खबरी का फोन आया था। उसने मुझे बस इतना बताया- सर, गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है। मैंने उस मुखबिर से पूछा कि कौन विकेट लेने वाला है? उसने जवाब दिया- अबू सलेम, सर उसने अपने शूटर के साथ प्लान तैयार किया है। गुलशन कुमार रोज सुबह घर से निकलने से पहले शिव मंदिर जाता है, वहीं पर शूटर उसका काम खत्म करने वाले हैं।
कई म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े लोग का नाम शक के दायरे में आया
गुलशन कुमार की हत्या (Gulshan Kumar Murder) के पीछे बॉलीवुड के कई म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े बड़े नाम भी सामने आएं। जिसने इस केस में भूचाल सा ला दिया। मशहूर म्यूजिक कंपोजर नदीम अख्तर सैफी पर आरोप लगें कि वो गुलशन कुमार की हत्या करवाने में शामिल थे। यहां तक नदीम सैफी के बारे में कहा गया कि नदीम ने ही हत्यारों को हायर किया था। इतनी बदनामी होने के बाद नदीम सैफी भारत छोड़ ब्रिटेन चले गए। जिसके कारण बॉलीवुड में मशहूर नदीम – श्रवण की जोड़ी कुछ सालों बाद टूट गई। इस केस में पूछताछ करने के लिए भारतीय अधिकारी नदीम को भारत वापस बुलाना चाहती थे लेकिन वो नदीम को बुलाने में नाकाम रहे। उधर नदीम भी लगातार अलग-अलग माध्यमों से अपनी बेगुनाही को लेकर आवाज उठाते रहे। लेकिन गुलशन कुमार के हत्या के 25 साल बाद भी नहीं पता चल पाया कि नदीम हत्या में शामिल थे या उनपर लगें सभी इल्जाम बेबुनियाद थे।
(Gulshan Kumar) की हत्या में टिप्स इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी को भी गिरफ्तार किया गया है। कहा जाता है कि रमेश तौरानी ने गुलशन कुमार के हत्यारों को उनकी हत्या करने के लिए उकसाया था। साथ ही पुलिस ने TIPS के मालिक रमेश तौरानी आरोप लगाया था कि रमेश तौरानी ने गुलशन कुमार के हत्यारों को 25 लाख रुपये दिए थे। लेकिन पुलिस कोर्ट में रमेश तौरानी के खिलाफ आरोप साबित करने में नाकाम रही और रमेश तौरानी को बरी किया। 90 के दशक में टिप्स कैसेट्स और गुलशन कुमार की कंपनी टी-सीरीज एक-दूसरे के सबसे बड़े राइवल हुआ करते थे।
24 साल बाद कोर्ट का फैसला आया
24 साल तक चले गुलशन कुमार की हत्या के केस में आख़िरकार 1 जुलाई , 2021 को कोर्ट का फैसला आया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने शूटर अब्दुल रऊफ मर्चेंट और अब्दुल राशिद को उम्रकैद की सजा सुनाई और टिप्स इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश तौरानी को मामले में बरी करने का फैसला बरकरार रखा। लेकिन इस फैसले के पीछे काफी लम्बा संघर्ष था।
सबसे पहले पुलिस ने गुलशन कुमार हत्याकांड मामले में 400 पन्नों की चार्जशीट दायर की। इसमें 26 लोगों को हत्या का आरोपी बनाया गया। इनमें से 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जबकि मोहम्मद अली शेख नाम का एक आरोपी इस केस में सरकारी गवाह बनने के लिए राज़ी हो गया। फिर जनवरी, 2001 में (Gulshan Kumar) की हत्या में शामिल एक शूटर अब्दुल रऊफ उर्फ दाऊद मर्चेंट को पुलिस ने कोलकाता से दबोजा। उसके बाद जून, 2001 को गुलशन कुमार की हत्या मामले में कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। अप्रैल 2002 में अदालत ने 19 में से 18 आरोपियों को बरी कर दिया। जबकि शूटर अब्दुल रऊफ को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन इतने लम्बें संघर्ष के बावजूद आज तक ये नहीं पता चल पाया कि (Gulshan Kumar Murder) का विकेट वाकई किसके कहने पर गिराया गया था।