पैन्क्रियाटिक कैंसर जो कि एक स्टेज पर जाकर जानलेवा साबित हो सकता है। आज हम इसी पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह बीमारी जानलेवा इसलिए भी है क्योंकि शुरू के स्टेज में इसके लक्षण के बारे में पता ही नहीं चल पाता है। ज्यादातर केसेज में इस कैंसर के लक्षण तब दिखाई पड़ते हैं जब या तो ये प्रभावित सेल्स बड़ा हो जाता है या फिर पैंक्रियाज के बाहर ये पूरी तरह से फैल चुके होते हैं। पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में अडवांस स्टेज में पता चलने पर अगर उसका इलाज किया भी जाए तो मरीज के पूरी तरह से स्वस्थ्य होने की उम्मीद बेहद कम होती है।
आखिर ये कैंसर कैसे होता हैं?
पैन्क्रियाटिक कैंसर की स्थिति तब पैदा होता है जब पैंक्रियाज के सेल काउंट में काफी तेजी से इजाफा होने लगता है। बेकाबू हो चुकी कोशिकाएं बड़े ही घातक तरीके से ट्यूमर बनाती हैं जो शरीर के अन्य हिस्सों पर ब्लड स्ट्रीम के जरिए हमला करता है जिससे ऑर्गन फेलियर के साथ साथ मौत हो सकती है।
पैन्क्रियाटिक कैंसर दो तरह के होते हैं
पैंक्रियाज में ग्रंथियां होती हैं जो बॉडी के लिए पैन्क्रियाटिक जूस, हार्मोन के साथ साथ इंसुलिन भी बनाती हैं। पैंक्रियाज के एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन भाग में कैंसर पनप जाता है। पैन्क्रियाटिक ग्लैंड के अंदर एक्सोक्राइन कैंसर होता है वहीं शरीर के लिए जो हार्मोन प्रड्यूस करता है एंडोक्राइन ट्यूमर उस भाग में होता है।
अब जानते हैं पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण
पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण तब तक नहीं दिखाई पड़ते हैं जब तक कि ये क्रिटिकल कंडिशन में ना पहुंच जाए। इसके जो शुरू के लक्षण हैं वो अन्य बीमारियों के लक्षण जैसे ही होते हैं। ऐसे में ज्यादातर केसेज में मरीज उन अन्य बीमारियों का ही उपचार करवाने लगते हैं जिससे शरीर में पैन्क्रियाटिक कैंसर को बढ़ने का मौका मिलने लगता है।
कुछ ऐसे लक्षण है जो अगर शरीर में अचानक दिखने लगें और लंबे समय तक वे दिखाई पड़ते रहे तो व्यक्ति को एक बार जरूर पैन्क्रियाटिक कैंसर का टेस्ट करवाना चाहिए। साथ ही अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए।
1. पेट और पीठ में लगातार दर्द बना रहना
2. एकाएक वजन घटने लगना
3. पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा होना
4. बार बार बुखार का आना
5. भूख का न लगना
6. त्वचा का रूखापन बढ़ते जाना
7. बेचैनी सा लगना या फिर उल्टियां होना
8. पीलिया होना
9. पेल या ग्रे मल का होना
10. हाई ब्लड शुगर होना
रिस्क फैक्टर पर गौर कर लेते हैं
पैन्क्रियाटिक कैंसर आखिर क्यों होता है इस बारे में कोई वजह अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन कई तरह के फैक्टर्स व्यक्ति को ऐसे कैंसर का मरीज बना सकते हैं जिनमें मोटापा, काफी देर तक बैठे रहने की आदत होना, स्मोकिंग, जेनेटिक्स, डायबीटीज जैसे फैक्टर्स शामिल हैं।
इलाज कैसे करा सकते हैं?
- सर्जरी या कीमो के जरिए पैन्क्रियाटिक कैंसर का इलाज होता है।
- विपल प्रसीजर- पैंक्रियाज, स्मॉल इंटेस्टाइनि के साथ ही गॉलब्लैडर के छोटे भाग को निकाला जाता है।
- डिसटल पैंक्रियाटेक्टमी- पैंक्रियाज के लंबे हिस्से या टेल को हटा दिया जाता है।
- टोटल पैंक्रियाटेक्टमी- इस पद्धति को कम इस्तेमाल में लाया जाता है जिसमें पैंक्रियाज के साथ ही स्प्लीन यानि कि ऐब्डमन के ऊपर के भाग को हटा दिया जाता है।
- कीमोथेरपी- इसमें पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए कीमोथेरपी या फिर इसी के साथ रेडियोथेरपी का प्रयोग किया जाता है। इस पद्धति में सर्जरी भी कर दी जाती है।
Disclamier- किसी भी कंक्लूजन पर पहुंचने से पहले अपने डॉक्टर या सलाहकार से जरूर मिलें। ये जानकारियां अलग-अलग स्रोतों से जुटाई गई है, इनकी पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता है।