बीते दिन बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी, जिसने हर किसी को झकझोंर कर रख दिया. जो सुशांत हमेशा अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लेकर चलते थे, उसी मुस्कुराहट के पीछे उन्होनें बहुत दर्द छिपा रखा था.
पिछले साल ही सुशांत की फिल्म ‘छिछोरे’ रिलीज हुई थी, जिसको लोगों ने खूब पंसद भी किया था. इस फिल्म में उन्होनें लोगों को जिंदगी से ना हारने का मैसेज दिया था, लेकिन आज वहीं सुशांत खुद इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो गए. पुलिस के मुताबिक पिछले 6 महीनों से डिप्रेशन का इलाज करा रहे थे. आज हम आपको बताते हैं कि डिप्रेशन क्या होता है, जिसकी वजह से लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं…
क्या होता है डिप्रेशन?
डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी होती हैं. डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति ज्यादातर उदास रहता है और उसके मन में अधिकतर नेगिटिव विचार आते हैं. कई बार व्यक्ति अपने आप को इतना असहाय महसूस करने लगता है कि वो खुदकुशी तक करने के बारे में सोचने लगता है.
सिर्फ मानसिक ही नहीं डिप्रेशन शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकता हैं. हर मरीज में इसके अलग लक्षण होते हैं. लेकिन डिप्रेशन का शिकार हर मरीज अपने आप को किसी परस्थिति में फंसा हुआ और खुद को अकेला महसूस करता है.
ये हो सकती हैं वजह…
डिप्रेशन की वजह कुछ भी हो सकती हैं. किसी करीबी की मृत्यु का सदमा, रिलेशनशिप में परेशानी, कोई चीज मन-मुताबिक ना होना, कर्ज सम्बन्धी दिक्कत, नौकरी में समस्या, बचपन का कोई हादसा जिसे भूला ना पाना जैसी कोई भी घटना डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं.
डिप्रेशन के लक्षण…
डिप्रेशन का शिकार लोगों के व्यक्तिव में कई बदलाव आते हैं. हर वक्त बैचेनी और असहाय महसूस करना, गुस्सा आना, चिड़चिड़ा रहना, ठीक से सो ना पाना, दिनभर सिर दर्द रहना, मन में नेगिटिव विचार आना, मूड ऑफ रहना, किसी काम में मन ना लगना, ज्यादा थकावट होना, यौन इच्छाओं में कमी डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं.
जब डिप्रेशन से शिकार व्यक्ति का तनाव ज्यादा बढ़ जाता है, तो मन में जान लेने के विचार आने लगते हैं. कुछ केस में ऐसे विचार आते-जाते रहते हैं. वहीं, कुछ मामलों में इस तरह के विचार इस कदर हावी हो जाते हैं कि शख्स आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार डिप्रेशन की वजह से हर साल 8 लाख लोगों अपनी जान लेते हैं.
ऐसा हो तो करें डॉक्टर से संपर्क
आज के समय में अधिकतर लोग इसे बीमारी नहीं मानते और इसको लेकर डॉक्टर से संपर्क नहीं करते. जब किसी शख्स के मन में लगातार नेगिटिव विचार और साथ ही खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश ख्याल आए तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा अपनी करीबियों और दोस्तों के साथ दिल की बातें शेयर करके मन को हल्का करना चाहिए.