अभी पूरी दुनिया कोरोना महामारी के चपेट से धीरे-धीरे उभर रहीं थी तभी एक ऐसी बीमारी ने दस्तक दे दी है , जिसको सुनकर दिल दहल जा रहा है। इस नई बीमारी का नाम मंकीपॉक्स (Monkeypox) है। ये बीमारी भी कोरोना वायरस की तरह संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है। मिली जानकारी के अनुसार Monkeypox चूहों या बंदरों जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है। ब्रिटेन (Britain) में इस नई बीमारी का एक मरीज मिला है, जो हाल ही में नाइजीरिया से आया है, जिसके बाद से ब्रिटेन का हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट पर हो गया है। इस मरीज को लंदन के अस्पताल में विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया है। WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में इंसानों में देखने को मिला था।
इधर यूनाइटेड किंगडम की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) का कहना है कि इस वायरस के मानव से मानव में संक्रमण का मामला मुश्किल से सुनने में आया है, लेकिन एहतियात के तौर पर UKHSA ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ इस पर काम करना शुरू कर दिया है।आपको बता दें , पिछले साल जुलाई में अमेरिका के टेक्सास में एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई थी।
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक वायरल इंफेक्शन है जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। ये एक प्रकार का दुर्लभ संक्रमण है, जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखता है। इस बीमारी में चेचक के लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा इस संक्रामक बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण भी मरीज में दिखाई दे सकते हैं। जिन लोगों में ये बीमारी गंभीर होती है उनमें निमोनिया के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इससे संक्रमित होने पर मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद ये बीमारी आंख, नाक या मुंह के जरिए इंसान के शरीर में फैल सकती है।
इधर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा ने दावा किया है कि मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जंगली जानवर के जरिए हो सकता है। ये जानवर अफ्रीका के मध्य और पश्चिमी हिस्सों में पाए जाते हैं। अगर ये जानवर किसी इंसान को काट ले, या इनका खून या शरीर का दूसरा तरल पदार्थ (जैसे मूत्र, लार, पसीना) संपर्क में आए, या इनकी त्वचा गलती से अगर मुंह में चली जाए तो मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा मंकीपॉक्स संक्रमित जानवर के मांस को अच्छी तरह पकाए बिना खाने से और संक्रमित जानवर के शरीर के दूसरे हिस्से मसलन त्वचा, फर को छूने से भी हो सकता है। इस बीमारी के मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर ये खतरनाक साबित हो सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण (Symptoms)
मंकीपॉक्स एक तरह का वायरस का संक्रमण होता है, जिसके लक्षण काफी कुछ स्मॉलपॉक्स से मिलते जुलते हैं। मंकीपॉक्स होने पर मरीज के चेहरे और शरीर पर लाल रंग के दाने और रैशेज , स्किन पर लाल रंग के रैशेज, फ्लू के लक्षण, निमोनिया के लक्षण, बुखार लगना , सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, अत्यधिक थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन, लिम्फ नोड्स में सूजन पीठ में दर्द आदि इस बीमारी के लक्षण है। इसकी शुरुआत चेहरे पर दाने होने से होती है और फिर धीरे धीरे ये पूरे शरीर में बुरी तरीके से फैलने लगता है। आगे चलकर ये दाने सूख कर पपड़ी में तब्दील हो जाते हैं और झड़ जाते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन का कहना है कि 5 से 12 दिनों के भीतर इसके लक्षण उभरना शुरू होते हैं।
मंकीपॉक्स का इलाज
इस बीमारी के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि मंकीपॉक्स से प्रभावित व्यक्ति सामान्यतः एक हफ्ते में ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ लोगों में ये बीमारी बहुत गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती है। विश्व स्वस्थ्य संगठन (WHO ) के मुताबिक मंकीपॉक्स का फिलहाल कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है। इस बीमारी से संक्रमित होने पर मरीज के लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है। संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन में रखने से अन्य लोगों में इसके फैलने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा इस बीमारी से बचने के लिए सार्वजानिक जगहों पर फेस मास्क का इस्तेमाल, साफ-सफाई का ध्यान रखने की भी सलाह दी जाती है।