Guru Nanak Jayanti 2024 – गुरुपर्व सिख धर्म में गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार विशेष रूप से सिख समुदाय में बहुत महत्वपूर्ण है. गुरु नानक देव जी पहले गुरु हैं और इन्हें सिख धर्म के संस्थापक माना जाता है. गुरुपर्व के दौरान, श्रद्धालु गुरुद्वारों में जाते हैं, जहां प्रार्थना, भजन और कीर्तन होता है. लोग आमतौर पर लंगर का भी आयोजन करते हैं, जिसमें सभी के लिए भोजन का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन सिखों के मूल सिद्धांतों जैसे सेवा, समानता और भाईचारे को विशेष रूप से याद किया जाता है. तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि इस साल गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2024) कब मनाई जाएँगी और इसके महत्व क्या हैं.
कब है गुरु नानक जयंती 2024?
गुरुपर्व का आयोजन मुख्य रूप से कार्तिक महीने की पूर्णिमा को होता है, वही हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 16 नवंबर को देर रात्रि को 02 बजकर 58 मिनट पर होगा. ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2024) मनाई जाएगी और यह एक समर्पित अवसर है जहां लोग अपने गुरु के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं और उनके संदेशों को अपनाते हैं.
also read : Tulsi Vivah 2024: कब है तुलसी विवाह? जानें तुलसी विवाह की विधि और उसका महत्व .
गुरुपर्व के दिन विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ
गुरुद्वारे में जाना – लोग अपने नजदीकी गुरुद्वारे जाते हैं, जहां विशेष प्रार्थना और कीर्तन आयोजित किया जाता है.
शबद कीर्तन – गुरु ग्रंथ साहिब से शबद (भजन) गाए जाते हैं. श्रद्धालु भक्ति भाव से इनमें शामिल होते हैं.
प्रार्थना – लोग गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के लिए प्रार्थना करते हैं और उनके संदेशों को याद करते हैं.
लंगर का आयोजन – गुरुद्वारों में लंगर (सामूहिक भोजन) का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी जातियों और समुदायों के लोग मिलकर भोजन करते हैं. यह समानता और भाईचारे का प्रतीक है.
समारोह और विचार-विमर्श – कई जगह संगठनों द्वारा विशेष कार्यक्रम, भाषण और संगोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं, जिसमें गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं पर चर्चा होती है.
पुस्तकों का वितरण – कुछ स्थानों पर गुरु नानक जी की शिक्षाओं से संबंधित किताबें और साहित्य वितरित किए जाते हैं.
कब और कहां हुआ था गुरु नानक देव का जन्म?
गुरु नानक देव का जन्म सन 1469 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी नामक गांव में हुआ था, आज उस स्थान को श्री ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. यह सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और आस्था का स्थान है. गुरु नानक देव ने समाज की बुराइयों को दूर करने और लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ाने का प्रयास किया. उन्होंने गुरु परंपरा की शुरूआत की और सिख धर्म की स्थापना की.
गुरुपर्व के दिन कई खास गतिविधियाँ और रस्में
विशेष पूजा-अर्चना: दिन की शुरुआत प्रार्थना और पूजा से होती है. श्रद्धालु सुबह जल्दी गुरुद्वारे पहुंचते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं. वही गुरुद्वारे में पूरे दिन भक्ति भरे कीर्तन होते हैं, जिसमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के आधार पर भजन गाए जाते हैं. यह श्रद्धा और भावनाओं से भरा होता है. दूसरी और लंगर का आयोजन महत्वपूर्ण होता है, जहां सभी लोगों को मुफ्त भोजन परोसा जाता है. यह समानता और समुदाय की भावना को बढ़ावा देता है. इसके अलवा कई जगह गुरु नानक देव जी के जन्म के समय के अनुसार दीप जलाए जाते हैं और गुरुद्वारों को सजाया जाता है. यह उनके जन्म का उत्सव मनाने का एक तरीका है. (जिसे प्रकाशपर्व भी कहा जाता हैं.) वही कई समुदाय एकत्र होते हैं, जहाँ गुरु नानक की शिक्षाओं पर चर्चा होती है और उनके जीवन से प्रेरणा ली जाती है.
गुरुपर्व का दिन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो सिख धर्म के मूल्यों को आगे बढ़ाता है.