दुनिया बहुत खूबसूरत है और इसकी खूबसूरती ओर बढ़ जाती है जब इस दुनिया के इन्सान धर्म, जाति, लिंग और भाषा के अंतर को खत्म कर एकजुट हो जाते है. आज हम आपके लिए एक ऐसे ही गुरूद्वारे की कहानी लेकर आए है जहाँ धर्म की सीमा को तोड़ कर एक गुरूद्वारे और मदिर को साथ में बनाया गया है. जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब जी के साथ में हिन्दू धर्म के भगवान माता वैष्णो देवी, भगवान शिव व भगवान श्री कृष्ण राधा जी विराजमान है. इस गुरूद्वारे में हिन्दू और सिख सभी मिलकर सभी त्योहारों को बड़ी उत्साह से मिलजुल कर मनाते है. इस गुरुदारे में गुरु नानक जयंती हो या जन्माष्टमी सभी पर्व साथ मिलकर मनाते है.
आईए आज हम आपको इस अनोखे गुरूद्वारे की कहानी, अपनी जुबानी सुनते है. जिसमे हिन्दू-सिखों ने अपने धर्म की सीमा को तोड़ दिया है.
हिंदू-सिख भाईचारे की पहचान ये गुरुद्वारा
हम आपको बता दें कि यह गुरुद्वारा हरियाणा के पलवल में स्थित है जिस गुरूद्वारे में मंदिर की स्थापना की गई थी. यह दुनिया का पहला ऐसा गुरुद्वारा है जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब जी के साथ हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं भी विराजमान है. जब इस गुरूद्वारे के प्रबंधक कमेटी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 1984 के दंगो के बाद जब कुछ लोग इस गुरूद्वारे को तोड़ने आ रहे थे तो गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस गुरूद्वारे में कुछ हिन्दू भगवानों की प्रतिमाओं को रख दिया था. जिसके बाद जैसा सोचा था वही हुआ, वह लोग गुरूद्वारे में हिन्दू धर्म के भगवानों की प्रतिमाओं को देख कर वापिस लौट जाते है.
ऐसा करने से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरूद्वारे को बचा लिया था. जिसके बाद उन हिन्दू धर्म की प्रतिमाओं को वहां से नहीं हटाया गया. और देखते ही देखते कुछ समय बाद उस गुरूद्वारे में एक मदिर की भी स्थापना हो गई थी. और वहां हिन्दू और सिख दोनों मिलकर उस गुरूद्वारे में पूजा करने लगे. इस गुरूद्वारे को हिन्दू और सिखों के भाईचारे के रूप में जाना जाता है.
हम आपको बता दें कि इस गुरुद्वारें में हिन्दू और सिख मिलकर हर त्योहार को मनाते है चाहे गुरु नानक जयंती हो या जन्माष्टमी हर पर्व को बहुत धूमधाम क्ले साथ मिलकर मनाते है. पिछले 60 सालों से हर दिन दो समय इस गुरूद्वारे में गरीबो को लंगर खिलाया जाता है. और लगभग 200 परिवार हर दिन यहां खाना खाते है.
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