वृंदावन में कई ऐसे भक्त देखे जाते हैं जो श्री कृष्ण और राधा रानी के सामने अपनी भक्ति जाहिर करते हैं और ऐसा ही एक भक्त नथ-कुंडल पहने श्री कृष्ण और राधा रानी के रंग में रंगा हुआ नजर आया. नथ-कुंडल पहने इस आदमी के कई सारे विडियो हैं और इस विडियो में देखा जा सकता है कि कैसे ये शख्स नथ-कुंडल पहले और सखी का रूप धारण कर वृदावन में विराजमान ठाकुर जी और राधा वल्लभ के सामने आपनी भक्ति प्रकट कर रहा है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको नथ-कुंडल पहने और सखी का रूप धारण किए ये शख्स कौन है.
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बड़ौदा में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी करते थे ये शख्स
वृंदावन एक ऐसी धर्मिक जगह है जिसको लेकर दावा किया जाता है कि जो भी यहाँ आता है वो यहीं का होकर रह जाता है. वृदावन में विराजमान ठाकुर जी और राधा वल्लभ ऐसी लीला रचते हैं कि उनका भक्त उन्ही का हो जाता है और ऐसा ही इस शख्स के साथ हुआ. इस शख्स का नाम ऋत्वज मिस्त्री है लेकिन अब वृंदावन में उन्हें रंगोली होली साकी के नाम से जाना जाता है।
रंगोली होली सखी बड़ौदा के रहने वाले हैं और इनका शिक्षा भी यहीं पर हुई. रंगोली होली सखी बनने से पहले ऋत्वज मिस्त्री बड़ौदा की एक यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थे और फाइन आर्ट्स पढ़ते थे. इसी बीच मिस्त्री बड़ौदा वृंदावन आये.
साल 1995 में पहली बार आए वृंदावन
ऋत्वज मिस्त्री सबसे पहले वृंदावन अपने गुरु जी के साथ एक नृत्य प्रस्तुत करने के लिए साल 1995 आये थे. वहीं इस दौरान उन्होंने वृंदावन देखा. वहीं इसके बाद उन्हें पता चला कि वृंदावन में होली बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है और तब वो अपने मित्रों के साथ बृंदावन आये और यहाँ पर रुके साथ ही होली भी मनाई. वहीं इस दौरान उनके दोस्त को फोन आया कि आप राधा भल्ला लालजी के मंदिर के दर्शन जरुर करना और यहाँ से उनकी ज़िन्दगी बदल गयी.
राधावल्लभ लाल जी मंदिर बदली ज़िन्दगी
साल 2020 में जब ऋत्वज मिस्त्री जब श्री राधावल्लभ लाल जी मंदिर, वृन्दावन में सखी रूप धारण करके अपने मित्रों के राधावल्ला लाल जी की दर्शन करने गये. वहीं इसके बाद ऋत्वज मिस्त्री राधावल्लभ लाल जी रंग में रंग गाये और अब बाद खुद को राधा रानी की सखी के रूप मानते हैं और अब उन्हें वृंदावन में लोग रंगोली होली सखी के नाम से जानते हैं.
खुद को मानते हैं राधा रानी की सखी
रंगोली होली सखी के कई सारे विडियो है जो सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं और ये भी देखा जा सकता है कि किस तरह से वो राधा के समाने नाक में नथ और कान में कुंडल पहने नृत्य के जरिये अपनी भक्ति पेश करते हैं. वहीं रंगोली होली सखी कहते हैं कि उन्हें हर पल ये एहसास होता कि जैसे श्री कृष्ण उनका हाथ पकड़ के चल रहे हैं.
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