Home आस्था प्रेमानंद जी के सत्संग: दूसरों की तरक्की देखकर ईर्ष्या होती है तो क्या करें

प्रेमानंद जी के सत्संग: दूसरों की तरक्की देखकर ईर्ष्या होती है तो क्या करें

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प्रेमानंद जी के सत्संग: दूसरों की तरक्की देखकर ईर्ष्या होती है तो क्या करें
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वृंदावन में रहने वाले श्री प्रेमानंद महाराज जी जिनकी जुबान पर हर समय राधा रानी का नाम होता है. श्री प्रेमानंद महाराज जी राधा रानी को अपना ईश्वर और खुद को उनका भक्त मानते हैं. जहाँ सुबह 2 बजे उठकर महाराज जी वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है. वहीं महाराज जी आम लोगों से भी मिलते हैं और उनके दर्शन करने के लिए कई लोग आते हैं. वहीं इस बीच एक महिला ने महाराज जी से मिलने आई उसने तरक्की देखकर ईर्ष्या होने को लेकर सवाल किया और महाराज ने इस सवाल का जवाब दिया है.

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महाराज ने बताया ईर्ष्या खत्म करने का उपाय

दरअसल, महाराज जी से मिलने आई महिला का नाम मनीषा शर्मा है और इस महिला ने महाराज जी से सवाल किया कि दूसरों की तरक्की देखकर ईर्ष्या होती है तो क्या करें. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज जी ने कहा कि ये दोष है काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद मत्सक और मद्सरी. इसका मतलब ये है मुझसे आगे बढ़ रहा हैं ये सब माया माल दोष हैं.

इसी के साथ महाराज ने बताया कि अगर आप सब में अपने प्रभु को देखते हैं तो हमें ये जलन नहीं होगी. मेरे प्रभु इस रूप में ऐसा खेल रहे हैं और मेरे लिए क्या आदेश हमें ये देखना चाहिए. अगर हम ऐसा करते हैं तो जलन और ईर्ष्या नही होगी.

महाराज ने दिया था नाम जप का खास ज्ञान

इससे पहले महाराज ने नाम जप का खास ज्ञान दिया था. दरअसल, महाराज जी मिलने के लिए एक ज्योति कृष्ण नाम के व्यक्ति ने पूछा कि मेरा 4 साल कॉलेज की पढ़ाई है और मेरे कॉलेज में ज्यादातर बच्चे अभद्र भाषा, गालियां, गंदी बातें करते हैं. इन सबके बीच मैं कैसे नाम जप करू.

वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने बताया कि भक्ति और नाम जप कही भी हो सकता है. वहीं महाराज ने बताया कि विभीषण ने तो लंका में रहकर भक्ति की थी तो भक्ति और नाम जप कही भी हो सकता है. इसी के साथ महाराज ने ये भी कहा कि वो जो कर रहे हैं वो अपना कर्म कर रहे हैं आप अपना कर्म करो.

सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं महाराज जी

आपको बता दें, महाराज जी राधा रानी को अपना ईश्वर साथ ही खुद को भक्त मानते हैं. महाराज जी की जुबान पर श्री जी का नाम होता है और श्री जी के नाम से ही वो भजन करते हैं. जहाँ प्रेमानंद महाराज जी जहाँ सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते हैं.

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