हिंदू धर्म में सदियों से साधु सन्यासियों को बहुत सम्मान दिया जाता है क्योंकि साधु बनना आसान नहीं है कहा जाता है कि साधु जीवन जीन के लिए सभी सुखों का त्याग करना पड़ता है साथ ही पूरी ज़िन्दगी अकेले रहकर भिक्षा मांगकर जीना पड़ती है. साधु सन्यासियों का जहाँ जीवन अलग होता है तो वहीं उनका कपड़े भी अलग तरीके के होते हैं और इस वजह से हर कोई उनके जैसे कपड़े नहीं पहन सकते हैं. इस चीज को लेकर वृंदावन के महाराज श्री प्रेमानंद जी ने एक बात कही है.
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प्रेमानंद जी महाराज ने कही ये बात
वृंदावन के महाराज श्री प्रेमानंद जी ने कहा है कि जो लोग साधु सन्यासियों की तरह वस्त्र धारण करते हैं वो गलत है क्योंकि साधु सन्यासियों बनाने के लिए ताप करना पड़ता है साथ ही साधु सन्यासी बनने के लिए ज्ञान की जरूरत होनी चाहिए और ये ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही साधु सन्यासी बना जा सकता है. श्री प्रेमानंद महाराज जी ने ये भी कहा कि साधु सन्यासियों लोगों को महान समझते हैं और इस वजह से किसी ने कुछ पूछ लिया और वो जवाब नहीं दे पाए तो ये साधु सन्यासियों का अपमान होता है.
जानिए क्यों साधु-सन्यासी पहनते हैं अलग रंग के कपड़े
‘साधु’ का अर्थ सज्जन पुरुष या भला आदमी होता है. वहीं जो साधु’ भगवा रंग पहनते हैं वो शैव और शाक्य साधु हैं भगवा रंग को ऊर्जा और त्याग का प्रतीक चिन्ह रंग माना जाता है. ऐसा माना गया है कि भगवा रंग के कपड़े धारण करने से मन पर नियंत्रण रहता है और दिमाग शांत रहता है.
वहीँ सफेद रंग के कपड़े पहने श्वेतांबर जैन साधु होते हैं. इसके अलावा, काले कपड़े धारण किए हुए साधु तांत्रिक होते हैं. माना जाता है कि काले रंग के कपड़े पहने ये साधु तंत्र मंत्र में माहिर होते हैं. कई बार ये ऐसा दावा भी करते हैं कि यह अपने तंत्र-मंत्र से अनेकों प्रकार के असाध्य रोगों का भी इलाज कर सकते हैं. वहीं काले कपड़ों के अलावा, यह साधु रुद्राक्ष की माला भी धारण करते हैं.