श्री प्रेमानंद महाराज जी जो राधा रानी के परम भक्त हैं और उन्ही के नाम का सत्संग भी करते हैं. महाराज जी जहाँ अपने सत्संग के दौरान कई सारी अच्छी बातें बताते हैं. तो वहीं महाराज जी लोगों से भी मिलते हैं. वहीं इस बीच महाराज जी से मिलने आये एक शख्स ने रावण को लेकर सवाल किया और महाराज ने इस शख्स को समझाते हुए इस बात का जवाब दिया.
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महाराज ने बताया हम नहीं कर सकते हैं निंदा
एक शख्स ने महाराज से पूछा कि हमारे के गाँव में रावण की पूजा होती है क्या ये सही है. वहीं महाराज ने इस बात का जवाब देते हुए कहा कि रावण कोई साधारण मनुष्य नहीं था वो भगवान का जय-विजय स्वरुप है लेकिन वो भगवान के विरुद्ध गया तब उसका नाश हो गया है. रावण भगवान शिव का परम भक्त है और शास्त्रों का विद्वान् हैं लेकिन वो चरित्रहीन हो गया और इस वजह से उसका नाश हुआ.
इसी के साथ महाराज ने ये भी कहा कि जब रामायण की आरती करते हैं उसमें भी रावण का नाम शामिल है और इस दौरान उसकी भी पूजा हो रही है और अगर रावण के वंशज रावण की पूजा करते हैं तो कोई बात नहीं हम उसकी निंदा नहीं कर सकते हैं.
वहीं इससे पहले महाराज जी से मिलने आये एक शख्स ने सवाल किया था कि परमार्थ मार्ग के पथिक की यात्रा अगर अधूरी रह जाती है तो क्या होगा? वहीं महाराज जी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि परमार्थ मार्ग की यात्रा अधूरी होती ही नहीं है, महाराज ने कहा कि जैसे हम राधा नाम ले और प्राण निकल जाए तो समझ लो यात्रा पूरी हो गयी है. वहीं महाराज जी ने ये भी कहा कि नाम जप करो और इस बीच अगर मृत्यु हो जाती है तो समझ से भागवत प्राप्ति हो गयी है.
महाराज जी को रोज करवाना पड़ता है डायलिसिस
आपको बता दें, श्री प्रेमानंद महाराज जी को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग Ploycystic Kidney Disease है और इस वजह से उनकी दोनों किडनी खराब हो गयी. दोनों किडनी खराब होने की वजह से उन्हें डायलिसिस करवाना पड़ता है और इसके लिए काफी खर्चा होता है साथ उनके काफी पीड़ा भी होती है लेकिन 4 घंटे डायलिसिस करवाने के बाद महाराज जी राधा रानी की सेवा में लग जाते हैं. महाराज जी सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं और उसके बाद बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन करते हैं साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है और सत्संग में कई सारी अच्छी बातें भी बताते हैं.
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