वृंदावन में रहने वाले श्री प्रेमानंद महाराज जी राधा रानी के परम भक्त हैं और हर समय उनकी जुबान पर राधा नाम होता है. जहाँ श्री प्रेमानंद महाराज जी सुबह दो बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है. वहीं वृंदावन में महाराज जी से मिलने और उनके दर्शन करने के लिए कई लोग आते हैं और इन लोगों के कई सारे सवाल होते हैं. महाराज जी इन सवालो का उत्तर देते हैं साथ ही हल ही बताते हैं. वहीं इस बीच अब महाराज जी ने बताया है कि मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिल रही है तो क्या करें.
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महाराज जी ने बताया उपाय
दरअसल, महाराज जी से मिलने के लिए पानीपत से एक शख्स आया और इस शख्स का नाम दिनेश है. इस शख्स ने पूछा कि मेहनत का फल कब मिलेगा. मेहनत करने पर वो आदर, प्यार नहीं मिल रहा और इस वजह से घर में लड़ाई-झगड़ा होता है तो कैसे मेहनत करें कि सब चीज ठीक हो जाए.
वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज जी ने कहा कि मेहनत के लिए दिशा सही होना तय है और जब सही दिशा में मेहनत करोगे तभी आपको फल मिलेगा. इसी के साथ महाराज ने कहा कि मेहनत का सही फल तब मिलेगा जब आप भगवान का नाम लेंगे. भगवन नाम लेने से मेहनत का फल मिलेगा धर्म से चलोगे तो सब कुछ अच्छा होगा. महाराज जी ने ये भी कहा धर्म से चलो, भगवन का नाम जप करो माता-पिता और बुजर्गों की सेवा करो साथ ही दूसरों का हित करो सभी काम बनाने लग जायेंगे.
इसी के साथ महाराज ने इस शख्स से कहा कि तुम्हारे पुराने कर्मों का फल तुम भोग रहे हो और इन कर्मों को नाश करने के लिए आपको भजन और सही दीक्षा में मेहनत करनी होगी तभी बुरे कर्मों का विनाश होगा साथ आने वाले वक़्त में मेहनत का फल भी मिलेगा.
महाराज ने बताया नाम जप में क्यों आवश्यक है माला ?
इससे पहले महाराज जी से मिलने के लिए पंजाब से एक महिला आई थी जिनका नाम मंजू था. वहीं इस महिला का सवाल है कि नाम जप में माला की गिनती में क्यों उलझ जाते हैं और नाम जप में माला की गिनती आवश्यक क्यों है. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा कि माला इसलिए दी जाती है क्योंकि पहले-पहले हमारा मन नहीं लगता हैं और मन लगे इसलिए माला दी जाती हैं. वहीं माला का सहारा इसलिए लिया जाता हैं ताकि ध्यान लगा रहे और ध्यान लगेगा तभी भजन होगा इसलिए बात माला कि नहीं बल्कि भजन की है.
इसी के साथ महाराज जी ने ये भी कहा कि माला उलझन क्यों कर रही है ये सब आपके अभ्यास पर निर्भर करता है और जिस तरह का अभ्यास आप करेंगे उसी तरह नाम जप में माला साथ देगी और भजन में भी मन लगेगा.
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