वृंदावन में रहने वाले श्री प्रेमानंद महाराज जी जो राधा रानी के नाम से सत्संग करते हैं और इन सत्संग के साथ-साथ दरबार भी लगाते हैं. श्री प्रेमानंद महाराज जी के दरबार में कई लोग मिलने के लिए आते हैं और परेशानियों के बारे में बताते हैं. वहीं महाराज जी इनका मार्गदर्शन करते हैं साथ ही उन्हें सही दिशा में चलने का मार्ग बताते हैं. वहीं इस बीच अब महाराज जी ने बताया है कि वासना के खेल से कैसे बचा जा सकता है?
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महाराज ने बताया वासना के खेल से बचने का उपाय
दरअसल, श्री प्रेमानंद महाराज जी ने मिलने के लिए अदितीय शास्त्री आये और इस शख्स ने महाराज जी सवाल किया कि हर स्त्री में माँ की दृष्टि कैसे पैदा हो. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा कि इसके लिए हमें भगवत दृष्टि रखनी होगी. इसी के साथ सबको ऐसी नजर देखना होगा जैसे आप अपनी माँ को देखते हैं.
इसी के साथ महाराज ने ये भी कहा कि ये भाव भी तब रहेगा जब तक आप दूरी बनाकर रखते हैं जैसे ही आप निकट आये तो ये भाव खत्म हो जाता है वहीं महाराज ने ये भी कहा कि ये मर्यादा में रहे और ये मर्यादा भगवत दृष्टि से आयेगी.
महाराज ने बताया नाम जप में क्यों आवश्यक है माला ?
इससे पहले महाराज जी से मिलने के लिए पंजाब से एक महिला आई थी जिनका नाम मंजू था. वहीं इस महिला का सवाल है कि नाम जप में माला की गिनती में क्यों उलझ जाते हैं और नाम जप में माला की गिनती आवश्यक क्यों है. वहीं इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा कि माला इसलिए दी जाती है क्योंकि पहले-पहले हमारा मन नहीं लगता हैं और मन लगे इसलिए माला दी जाती हैं. वहीं माला का सहारा इसलिए लिया जाता हैं ताकि ध्यान लगा रहे और ध्यान लगेगा तभी भजन होगा इसलिए बात माला कि नहीं बल्कि भजन की है. इसी के साथ महाराज जी ने ये भी कहा कि माला उलझन क्यों कर रही है ये सब आपके अभ्यास पर निर्भर करता है और जिस तरह का अभ्यास आप करेंगे उसी तरह नाम जप में माला साथ देगी और भजन में भी मन लगेगा.
राधा रानी के भक्त है महाराज जी
आपको बता दें, श्री प्रेमानंद महाराज जी खुद को राधा रानी का भक्त और उन्हें अपना ईश्वर मानते हैं. जहाँ महाराज जी सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है और इन सत्संग में कई सारे अच्छी बातें भी बताते हैं. वहीं महाराज जी आम लोगों से भी मिलते हैं और उनके दर्शन करने के लिए कई लोग आते हैं साथ ही महाराज जी इन्हें सही दिशा में चलने का मार्ग बताते हैं.
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