श्री प्रेमानंद महाराज जी जो वृन्दावन में रहते हैं और खुद को राधा रानी का परम भक्त मानते हैं और हर समय उनकी जुबान पर राधा नाम होता है. वो अपना पूरा समय राधा रानी की सेवा में लगाते हैं और ये सभी कार्य वो दोनों किडनी खराब होने के दौरान करते हैं. श्री प्रेमानंद महाराज जी सुबह 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा बांके बिहारी जी, राधा वल्लब के दर्शन और परिक्रमा करते हैं तो साथ ही राधा रानी के नाम का सत्संग भी करते है और राधा नाम से भजन-कीर्तन भी करते हैं. महाराज की दोनों किडनी 17 साल से खराब हैं और इन किडनी का नाम उन्होंने राधा और श्याम रखा है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि महाराज जी ने अपनी किडनी के नाम राधा और श्याम क्यों रखे हैं.
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महाराज ने रखा अपनी किडनी का नाम राधा और श्याम
श्री प्रेमानंद महाराज जी रास लीला देखने के बाद हुए मथुरा आये थे कहा जाता है कि महाराज जी को एक संत ने रास लीला में भाग लेने के लिए राजी किया और महाराज जी ने इसमें हिस्सा लिया और फिर महाराज जी रास लीला से मन्त्र मुग्ध हुए और फिर उन्होंने मथुरा के लिए चल दिए. महाराज जी ट्रेन से मथुरा पहुंचे और यहाँ से वृंदावन पहुंचे जिसके बाद वृंदावन में उन्होंने वृंदावन की परिक्रमा की फिर श्री बांके बिहारी के दर्शन कि इसी दौरान एक संत ने उन्हें बांके बिहारी जी के मंदिर में जाने की बात कही और यहाँ से ही महाराज जी राधा रानी के भक्त बन गए.
संत प्रेमानंद महाराज जी की दोनों किडनी 17 सालों से ख़राब हैं और डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था लेकिन राधे श्याम नाम जपते जपते उन्होंने अपने जीवन को भगवान के ऊपर ही छोड़ दिया. प्रेमानंद जी ने एक किडनी का नाम राधा और दूसरी किडनी का नाम श्याम रखा है. प्रेमानंद जी कहते हैं कि ये दोनों हमारी शक्ति है और इसी शक्ति से हमारा जीवन चल रहा है इसलिए हमारी किडनी का नाम राधा और श्याम है.
महाराज जी को रोज करवाना पड़ता है डायलिसिस
श्री प्रेमानंद महाराज जी को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग Ploycystic Kidney Disease है और इस वजह से उनकी दोनों किडनी खराब हो गयी. दोनों किडनी खराब होने की वजह से उन्हें डायलिसिस करवाना पड़ता है और इसके लिए काफी खर्चा होता है साथ उनके काफी पीड़ा भी होती है. लेकिन 4 घंटे डायलिसिस करवाने के बाद महाराज जी फिर से राधा रानी की सेवा में लग जाते हैं.
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