14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम (Lord Ram), लक्ष्मण और सीता जी दिवाली के दिन अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत किया, घर को सजाया, रंगोली बनाई और दीप जलाए। तब से दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है। भगवान राम के अयोध्या लौटने के महत्व के अलावा, दिवाली पर कई अन्य महत्वपूर्ण अवसर और रीति-रिवाज़ मनाए जाते हैं जो कई संस्कृतियों और धर्मों से जुड़े हैं। आईए आपको बताते हैं दिवाली से जुड़ी अन्य गतिविधियाँ और मान्यताएँ (what happened on Diwali day) के बारे में।
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आर्य समाज– Arya Samaj
स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati) ने दिवाली के दिन आर्य समाज की स्थापना की थी। इस वजह से दीवाली के दिन आर्य समाज का भी बाद महत्व मन जाता है।
माता लक्ष्मी की पूजा- Worship of Mata Lakshmi
दिवाली को माता लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। इसलिए, इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है और लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं ताकि लक्ष्मी जी का आगमन हो सके और घर में समृद्धि और सौभाग्य बना रहे।
नरकासुर वध और नरक चतुर्दशी- killing of Narakasura and Naraka Chaturdashi
दिवाली से एक दिन पहले ‘नरक चतुर्दशी’ मनाई जाती है, जिसे ‘छोटी दिवाली’ (Choti Diwali) भी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने दैत्य नरकासुर का वध किया था और 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस- Mahavir Swami’s Nirvana Day
जैन धर्म में दिवाली का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसे जैन धर्म के अनुयायी विशेष श्रद्धा के साथ मनाते हैं और मंदिरों में दीप जलाते हैं।
पांडवों की वापसी- Return of the Pandavas
महाभारत के अनुसार, जब पांडव 12 साल के वनवास और एक साल के अज्ञातवास के बाद वापस लौटे थे, तो उनका स्वागत दीप जलाकर किया गया था। यह भी एक मान्यता है कि इसी घटना से दिवाली का उत्सव आरंभ हुआ।
विक्रम संवत- Vikram era
दिवाली के दिन ही राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत कैलेंडर की स्थापना की थी, जो भारत में प्रमुख रूप से प्रचलित पंचांग है। इसे भी इस दिन की विशेष घटनाओं में से एक माना जाता है।
कुबेर की पूजा- Worship of Kubera
व्यापारियों और धन से जुड़े लोग दिवाली के दिन विशेष रूप से धन के देवता कुबेर की पूजा करते हैं। इस दिन नए बही-खातों की शुरुआत भी की जाती है और इसे शुभ माना जाता है।
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