राम ने रावण को मार, झूठ पर सत्य की जीत…
भारतीय संस्कृति में दशहरा का बहुत खास महत्व इसी दिन राम ने रावण को मार कर झूठ पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की जित घोसित की थी। इसी कारण दशहरा को हिन्दू धर्म में विजयादशमी के नाम से भी भी जानते है। विजयादशमी के अवसर पर लोग लंकापति रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले का दहन किया जाता है। इसके अलावा इस दिन ही नवरात्रि के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है।
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इस साल कब है दशहरा ?
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दसवीं तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इस साल यह तिथि मंगलवार 4 अक्टूबर को दोपहर 2 बज कर 21 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर के दोपहर 12 बजे तक रहेगी। इस कारण इस साल विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 13 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक है।
अमृत काल- बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 33 से लेकर दोपहर 1 बजकर 2 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त – बुधवार, 5 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक।
विजय मुहूर्त – बुधवार, 5 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक है।
दशहरा पूजा की विधि एवं महत्व
वैसे तो रोज़ सुबह स्नान कर पूजा अर्चना करनी चाहिए पर दशहरा के पवित्र अवसर पर सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवन श्री राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करें। इस दिन गाय के गोबर का बड़ा महत्व है। गाय के गोबर से 10 गोले बनाने की परंपरा है। यह दस गोले अहंकार, लोभ, लालच इत्यादि के प्रतीक होते हैं। जिसके ऊपर जौ के बीज लगाए जाते हैं। फिर भगवान को धूप और दीप दिखाकर पूजा करके और अंदर की बुराइयों को खत्म करने की भावना के साथ उन गोलों को जला दिया जाता है। यह बुराई पे अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस पर्व के पीछे और भी कई पौराणिक कथाएं हैं। जिसमे भारत के कुछ हिस्सों में सबसे प्रचलित किस्सा यह है कि यह दिन उस दिन का प्रतीक है जिस दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।