सिखों के लिए गुरुओं का औदा सबसे ऊपर होता है. सिख अपने गुरुओं की विचारधारा को बढ़ावा देते है और उनका प्रचार-प्रसार करते है. सिखों के गुरुओं ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. जिसके बाद सिखों के दस गुरु रहे, गुरु नानक देव (1469-1539), गुरु अंगद (1504-1552), गुरु अमर दास (1479-1574), गुरु राम दास (1534-1581), गुरु अर्जुन देव (1563-1606), गुरु हरगोबिंद (1594-1644), गुरु हर राय (1630-1661), गुरु हरकिशन (1656-1664), गुरु तेग बहादुर (1621-1675), गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) थे. सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अंतिम पलों मे कहा था कि मुझसे आगे कोई भी सिख आदमी गुरु नहीं बनेगा, और आज से सभी सिखों के लिए उनका गुरु, गुरु ग्रन्थ साहिब जी होंगी, जिसके बाद से दुनिया से सारे सिख गुरु ग्रन्थ साहिब को अपना गुरु मानते है. सिखों के पवित्र ग्रन्थ में सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सभी गुरुओं के वचनों और वनियों को लिखा है. सभी सिख गुरुओं के अपने अपने गुण है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको सभी सिख गुरुओं के गुणों के बारे में बताएंगे. जिससे सिखों के गुरुओं की गरिमा बढती है.
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सिखों के 10 गुरु
- सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी जैसा कोई तापी नही होगा. इन्होंने ‘गुरु का लंगर’ की शुरुआत की थी.
- सिखों के दूसरे गुरु, गुरु अंगद जी जैसा कोई आज्ञाकारी नहीं होगा. इन्होंने गुरुमुखी नामक नई लिपि का आविष्कार किया.
- सिखों के तीसरा गुरु, गुरु अमर दास जैसा कोई सेवादार नहीं होगा. इन्होंने सिखों के बीच सती और पर्दा व्यवस्था जैसी प्रथाओं को समाप्त कर दिया.
- सिखों के चौथा गुरु, गुरु राम दास जैसा कोई सिधिकी नहीं होगा. इन्होंने वर्ष 1577 में अकबर द्वारा दी गई ज़मीन पर अमृतसर की स्थापना की.
- सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जैसा कोई लखारी नहीं होगा. इन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण पूरा किया.
- सिखों के छठें गुरु, गुरु हरगोबिंद जैसा कोई योधा नही होगा. इन्होंने अकाल तख्त की स्थापना की और अमृतसर शहर को मज़बूत किया.
- सिखों के सातवें गुरु, गुरु हर राय जी जैसा कोई ज्ञानी नहीं होगा. इन्होंने अपना अधिकांश जीवन औरंगज़ेब के साथ शांति बनाए रखने तथा मिशनरी काम करने में समर्पित कर दिया.
- सिखों के आठवें गुरु, गुरु हरकिशन जी जैसा वैद नही होगा.
- सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जैसा कोई धनी नही होगा. इन्होंने आनंदपुर साहिब की स्थापना की.
- सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा कोई दानी नहीं होगा. ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप दिया.
सिखों के 10 गुरुओं के गुणों के हर सिख अपने बच्चे में चाहता है जिससे उनका बच्चा के अच्छा सिख और अच्छा इंसान बने. जो धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान तक हाजिर रखे. हर सिख अपने बच्चों में इन गुणों को चाहते है.
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