हर साल भारत देश में दिवाली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अयोध्या के लोगों ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया था और तभी से दिवाली का पर्व मनाया जाता है लेकिन हर प्रांत में इस त्यौहार को अलग रुपे में मनाया जाता है और तमिलनाडु में भी दिवाली अलग तरीके से मनाई जाती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको तमिल दिवाली के बारे में बताने जा रहे हैं.
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तमिल दिवाली को लेकर ये है मान्यता
जानकारी के अनुसार, उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में दिवाली के दिन दीये जलाकर, रंगोली बनाकर और घर कि सजावट करके साथ ही लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करके मनाया जाता है तो वहीं दक्षिण भारत के तमिलनाडु में दिवाली को लेकर अलग परम्परा है और इसे ही तमिल दिवाली कहते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, तमिल दिवाली को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और दक्षिण भारत समेत तमिलनाडु में इस दिन को भगवान कृष्ण और सत्यभामा की जीत के रूप में मनाया जाता है.वहीँ ये दिन भी अमावस्य पर पड़ता है और दक्षिण भारत में इसे नरक चतुर्दशी के रूप में जाना जाता है.
इस तरह मनाई जाती है तमिल दिवाली
वहीं दिवाली के मौके पर यहाँ तेल और उबटन से स्नान करके दिन की शुरुआत करते हैं और फिर मंदिर में पूजा-पाठ करने के लिए जाते हैं. या फिर वे घर पर ही पूजा-अर्चना में जुट जाते हैं. इसी के साथ यहाँ पर इस पर्व पर लोग मिठाईयों का आदान-प्रदान करते हैं और अपनों से मिलने जाते हैं. वहीं लोग दिए भी जालते हैं रंगोली भी बनाते हैं और पूजा-पाठ भी करते हैं.
भारत के सभी राज्यों में इस दिवाली के त्यौहार को अलग-अलग तरीके से मानते हैं. जहाँ उत्तर भारत में दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस की धूम रहती है. उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में लोग लाइट्स, दीए और अन्य चीजों से घरों को सजाते हैं. इसके अलावा रंगोली भी बनायो जाती है तो वहीं इस दिन सोने के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है और इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करने का प्रावधान भी उत्तर भारत में प्रचलित होता है. इसी के साथ दिवाली के दिन से हिंदू वित्तिय वर्ष की शुरुआत भी होती है. वहीं उत्तर भारत के कई हिस्सों में दिवाली का जश्न फेस्ट या स्पेशल स्क्रीनिंग के जरिए भी मनाया जाता है.
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