Shri Guru Nanak Sahib Dinga : सिखों का पवित्र स्थान गुरुद्वारा होता है, पूरी दुनिया में लाखों गुरूद्वारे है. जिनमें से कुछ गुरुद्वारों का निर्माण सिखों के गुरुओं ने करवाया था, और कुछ गुरुद्वारों का निर्माण सिख गुरुओं के अनुयायियों ने अपने गुरुओ की याद ने करवाया था. हमारे देश में बहुत सारे ऐसे गुरूद्वारे है जिनकी कहानी काफी रोमांचक है. देश में जितने भी गुरूद्वारे है सबकी अपनी कहानी है, उस गुरूद्वारे को किसी न किसी गुरु की याद में बनवाया गया होगा. जो सिखों के लिए काफी महत्व रखता है. इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसे ही गुरूद्वारे की कहानी को लेकर आए है.
दोस्तों, आईये आज हम आपको गुरु नानक देव जी ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु नानक साहिब डिंगा के बारे में कुछ रोचक बातें बताएंगे.
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गुरुद्वारा श्री गुरु नानक साहिब डिंगा
सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक साहिब जी ने इस स्थान का दौरा सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया था. गुरुद्वारा श्री गुरु नानक साहिब डिंगा को गुरु जी की याद में बनाया गया था, जो डिंगा खारियन शहर (पाकिस्तान) के बाहर मंडी बहाउद्दीन रोड के पास बनाया गया था.
जब गुरु नानक साहिब जी इस स्थान पर सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के दौरान आए तो इस स्थान पर एक हिंदू साधु ने एक नाटक किया, इस साधु ने ढोंग किया कि वह चालीस दिनों तक बिना कुछ खाए ध्यान करेंगे. ताकि गाव वालें उसके प्रति भक्ति भाव दिखाए. गुरु जी ने इससे अनावश्यक दिखावा बताया.
लेकिन इसके बाद साधु ने अपना उपवास जारी रखा और अपना 40 दिन पूरा किया. पर उससे कोई भी मिलने नहीं आया, वह सदमे में बेहोश हो गया, जिसके बाद गुरु नानक जी ने उससे उठा कर पानी पिलाया और उसे समझाया अहंकार को नष्ट किए बिना कोई भी योगी, सूफी, संत या फकीर नहीं बन सकता.
साधू, गुरु जी के समझने से समझ गया और गुरु जी ने अनुयाई बन गया. उस साधु ने गुरु जी के नाम पर एक आश्रम बनवाया, जो आगे चलकर गुरुद्वारा श्री गुरु नानक साहिब डिंगा के नाम से जाना गया, इससे महाराजा रणजीत सिंह ने भी इससे बनवाया. बटवारे के बाद, वह गुरुद्वारा पाकिस्तान में आ गए.
वर्तमान में गुरुद्वारा टूट गया है , अब इस स्थान पर बस स्टैंड है. सड़क के किनारे बनी दीवार के दूसरी ओर बनी टंकी को पानी उपलब्ध कराने वाला कुआँ खेत में है .
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