पति-पत्नी के रिश्ते को एक पवित्र रिश्ता माना गया है. ये एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दोनों ही एक-दूसरे से जिदंगी-भर साथ निभाने का वादा करते हैं. वहीं इस इस रिश्ते के बीच कोई आ जाए तो इस रिश्ते की बुनियाद टूट जाती है. जिसके कारण लड़ाई-झगड़े होते हैं और अलग होने की बात तक आ जाती है. लेकिन गौतम बुद्ध का कहना था कि हर पुरुष की 4 पत्नियां होनी चाहिए.
बुद्ध ने सुनाई 4 पत्नियों की कहानी
गौतम बुद्ध कहते हैं कि एक पुरुष की 4 पत्नियां होनी चहिए इसको लेकर उन्होंने एक कहानी सुनाई. वहीं इस कहानी के अनुसार, एक पुरुष कई पत्नियां 4 पत्नियाँ थी. वहीं जब ये व्यक्ति का अचानक से बीमार पड़ गया और उसे उसे इस बात का आभास हो गया था कि अब किसी भी वक़्त उसकी मौत हो जाएगी. वहीं इस दौरान उसने अपनी पहली पत्नी को बुलाया और उसे अपने साथ दूसरी दुनिया में चलने के लिए कहा. लेकिन अलविदा प्रिये कहा.
इसी के साथ उसने अपनी दूसरी और तीसरी पत्नी से भी यही सवाल किया. तो दूसरी पत्नी ने जवाब दिया, ‘प्रिय पति, आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं? क्योंकि आपने मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए प्यार किया है. वहीं तीसरी पत्नी ने जवाब दिया तीसरी पत्नी ने आंखों में आंसू भरकर कहा ‘मेरे प्रिय, मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख हो रहा है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी.’ ऐसा कहकर उसकी दूसरी और तीसरी पत्नी ने भी उसके साथ चलने के लिए मना कर दिया.
इसी के साथ जब उसने ये सोचा जब मेरी 3 पत्नियों ने मना कर दिया है तो चौथी पत्नी मेरे साथ अंतिम सफर पर चलने के लिए मना ही कर देगी लेकिन इस आखिर समय कि वो खुद को अकेला महसूस कर रहा था इसलिए उसने अपनी चौथी पत्नी से भी यही सवाल किया और चौथी पत्नी ने अपने पति के इस सवाल का जवाब हां में दिया.
चौथी पत्नी ने कहा कि ‘मेरे प्यारे पति, मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती.
क्या है इस चार पत्नियों का क्या है मतलब-
वहीं गौतम बुद्ध द्वारा बताई गयी इस कहानी खत्म करते हुए उन्होंने कहा कि ‘प्रत्येक पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और हर एक का खास मतलब होता है. पहली पत्नी हमारा शरीर है, दूसरी पत्नी हमारा भाग्य, भौतिक चीजों, धन, संपत्ति, प्रसिद्धि, पद और नौकरी है. वहीं तीसरी पत्नी हमारे रिश्ते-नाते हमारे माता-पिता, बहन और भाई, सभी रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज है और चौथी ‘पत्नी’ हमारा मन या चेतना है.
पहली पत्नी शरीर जिसे हम दिन-रात प्यार करते हैं लेकिन पहली पत्नी की तरह उसका ख्याल रखते हैं लेकिन जीवन के अंत में शरीर यानी पहली ‘पत्नी’ हमारे साथ अगली दुनिया में नहीं जाती है.
दूसरी ‘पत्नी’ हमारे भाग्य, भौतिक चीजों, धन, संपत्ति, प्रसिद्धि, पद और नौकरी है. जिसे पाने के लिए हम ज़िन्दगी भर मेहनत करते हैं लेकिन आखिरी समय ये सब हमारे साथ नहीं रहती है.
तीसरी पत्नी हमारे रिश्ते-नाते जो कि सिर्फ अंतिम संस्कार तक ही हमारे पास होते हैं मृत्यु के बाद रिश्तेदार शरीर को शमशान घाट पर लाते हैं और शरीर को अंतिम विदाई देकर वो लोग अपने-अपने रास्ते चले जाते हैं.
चौथी पत्नी का हमारा मन है. जब हम गहराई से यह पहचान जाते हैं कि हमारा मन क्रोध, लालच और असंतोष से भरा हुआ है तो हम अपने जीवन को अच्छे नजरिए से देख पाते हैं. क्रोध, लोभ और असंतोष कर्म के नियम हैं.हम अपने कर्म से कभी पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं. जैसा कि चौथी पत्नी ने आखिर सफ़र पर उनेक साथ चलेगी, ‘तुम जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे पीछे चलूंगी. यही है कर्म जो साथ जाते हैं.
इस दिन मनाई जाती है बुद्ध जयंती
बुद्ध जयंती वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था.बुद्ध दुनिया को अहिंसा, करुणा और सम्पूर्ण विश्व को शांति का संदेश देने के लिए जाने जाते हैं. बुद्ध के दिन ज्ञान लोगों को जीवन की राह दिखाते हैं. वहीं भगवान बुद्ध ने पूरी दुनिया को करुणा और सहिष्णुता के मार्ग के लिए प्रेरित किया है.