दिवाली, पुरे भारत में मनाये जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है. सनातन धर्म में दिवाली को बहुत धूम-धाम के साथ मानाया जाता है. चारो और जगमाहट देखने को मिलती है. यह पांच दिनों का त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है. हर दिन का अपना विशेष महत्व और रीति-रिवाज होते हैं. 2024 में, दिवाली का पर्व 29 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर को समाप्त होगा. तो चलिए आपको इस लेख में , हर दिन की पूजा के विधि-विधान के बारे में बताते हैं. ताकि आप इस शुभ अवसर का भरपूर लाभ उठा सकें.
दीवाली पूजा मुहूर्त
दीवाली पूजा पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के धन कुबेर की पूजा की जाती हैं. हिन्दू धर्म में यह पूजा विशेष महत्व रखती है. दिवाली के दिन अपने जीवन में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए आपको अपने घर, दुकान, ऑफिस आदि में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. ताकि आपके घर परिवार के साथ आपके बिज़नेस में भी सुख समृधि बने रहे. इसके अलवा आपके धन भंडार हमेशा भरे रहे. वही अगर दिवाली पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो दिवाली की शाम प्रदोष काल 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा इस समय चर चौघड़िया रहेगा जो शाम में 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके बाद रोग चौघड़िया लग जाएगा. शाम में मेष लग्न 6 बजकर 53 मिनट तक है. ऐसे में शाम 6 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट से पहले गृहस्थ जनों को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ करना शुभ रहेगा.
कैसे करें ऑफिस और दुकान में पूजा
- दिवाली की पूजा करने से पहले अपनी दुकान और ऑफिस की साफ़ सफाई अच्छे से कर लें. उसके बाद मुख्य दरवाजे पर रंगोली और स्वास्तिक बनाएं साथ ही मुख्य द्वार पर आम और गेंदे के फुल से बने तोरण ज़रूर लगाएं.
- देहली पर ऊं देहली विनायकाय नम: गन्ंध समर्पयामि मंत्र का जप करते हुए ही मांगलिक चिन्ह बनाएं और मुख्य द्वार पर थोड़ी रोली भी लगा दें.
- इसके बाद ऊं देहली विनायकाय नम: पुष्पाणि समर्पयामि करते हुए पुष्प चढ़ाए.
- दिवाली के मौके पर अपने कार्यस्थल के लिए एक नई कलम जरुर लेकर आएं और कलम को गंगाजल से शुद्ध कर उसपर मौली बांध दें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं.
- इसके अलवा दुकान या ऑफिस में बनी तिजोरी की पूजा भी अवश्य करें सबसे पहले तिजोरी पर सिंदूर से स्वास्तिक और शुभ लाभ जैसा मांगलिक चिन्ह बनाएं और कुबेर के निम्नलिखित मंत्र का जप करें. इस दौरान हाथ में चावल और पुष्प लेकर कुबेर देवता का आवाहन करें.
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घर पर पूजा करने के विधि विधान
इसके अलावा दीवाली के दिन घर पर पूजा करने के अलग विधि-विधान है. दिवाली के दिन घर में पूजा करने के लिए सबसे पहले यह जान लें की इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति जरुर लेकर आएं. दिवाली पूजन नई मूर्ति के साथ ही किया जाता है. अगर आपके पास चांदी के लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा है तो उनपर गंगाजल तो उन्हें दूध, दही हल्दी चन्दन और गंगा जल से शुद्ध कर लें. वही लोग इस बात में कंफ्यूज हो जाते है कि आखिर घर के किस स्थान पर लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. प्रचलित परंपराओं के अनुसार, लक्ष्मी पूजन कोषागर यानी की वह स्थान जहां पर आप अपना धन आदि रखते हैं. इसके अलावा लक्ष्मी पूजन के लिए दूसरा स्थान है आपके घर का पूजास्थल.
इसके अलावा आप चाहें तो घर के किसी एक कोने को अच्छे से साफ करके लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति के साथ पंचदेव की स्थापना जरूर करें. अब खुद कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें. इसके बाद माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हलदी कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. वही घर में दीपक जलाने के पहले एक थाली में पांच दीपक रखकर उन्हें फूल आदि अर्पित करके पूजा कर लें. तब जाकर घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें.
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