आज हम गुरु तेगबहादुर जी के एक ऐसी शिष्य की कहानी सुनाएंगे, जिन्होंने युद्ध के मैदान में कभी सिख या मुग़ल नहीं देखा, देखा तो बस मनुष्य और हर घायल मनुष्य को पूरे मन से पानी पिलाया और उनका नाम था भाई कन्हैया. कन्हैया का जन्म गुजरांवाला जिले के वजीराबाद के पास सोहदरा में खत्री परिवार में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है. उनके पिता भाई नत्थू राम जी एक बहुत अमीर व्यापारी थे और भगत सिंह हीरा के अनुसार उनके पिता सरकारी ठेकेदार थे जो लाहौर के गवर्नर के दरबारी जनरल अमीर सिंह की सेना को हथियार आपूर्ति करते थे लेकिन भाई कन्हैया ने अपनी जीवन के अलग उदेश्य बनाए. जिन पर चलकर भाई कन्हैया आगे सिख बने. आईए आज आपको भाई कन्हैया के जीवन की कहानी से रूबरू कराते है.
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कौन थे भाई कन्हैया साहिब
भाई कन्हैया का जन्म 1648 में सियालकोट क्षेत्र में वजीराबाद के पास सोधरा के खत्री परिवार में हुआ था, कन्हैया ने अपने परिवार से अलग अपने जीवन के उदेश्य चुने, जिसके बाद कन्हैया की युवावस्था ननुना बैरागी से मुलाकात हुई थी. जिसके साथ रहकर कन्हैया का बैरागी जीवन से परिचय हुआ था.
ननुना बैरागी जो की सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेगबहादुर जी के शिष्य थे, ननुआ बैरागी की निकटता के कारण कन्हैया को गुरु तेगबहादुर जी से मिलने का शोभाग्य प्राप्त हुआ था. कन्हैया गुरु जी मिलने के बाद सिख बन गए थे और खुद को गुरु जी की सेवा में अर्पित कर दिया था. कन्हैया को पहले गुरु जी का जलवाहक बनाया गया था, बाद में कन्हैया की लंगर में नियुक्त की गई और साथ ही गुरु जी के घोड़ों की भी देखभाल की.
भाई कन्हैया ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेगबहादुर जी की मृत्यु के बाद सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की सेवा में खुद को लगा दिया. एक बार कन्हैया आनंदपुर का दौरा कर रहे थे, उसी समय राजपूत सैनिक और मुग़ल सैनिक मिलकर शहर पर हमला कर रहे थे. इस युद्ध में भाई कन्हैया अक्सर बकरी की खाल से बनी पानी की थैली से सभी प्यासों को पानी पिलाते थे, जिससे देख कर सिख सैनी चिढ जाते थे.
जिसके बाद सिख सैनिक कन्हैया की शिकायत लेकर गुरु गोबिंद सिंह जी के पास जाते है, फिर गुरु जी ने कन्हैया से पूछा ‘ये सैनिक क्या बोल रहे है तुम दुश्मनों को पानी पिलाते हो और वो ठीक हो जाते है? कन्हैया ने कहा हाँ गुरु जी ये सच कह रहे है, लेकिन युद्ध मैदान में मुझे मुग़ल या सिख नहीं दिखे केवल मनुष्य दिखे. गुरु जी कन्हैया की बात से संतुष्ट जो गए और आगे चलकर गुरु जी ने कन्हैया को चिकित्सा सहायता प्रदान की थी.
कुछ समय बाद गुरु जी ने कन्हैया को सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए सिंध भेजा था, कन्हैया की मृत्यु के बाद उसके उतराधिकारी ने सिख धर्म का प्रचार किया था और पंजाब में 2017 से हर 20 सितम्बर को भाई कन्हैया के जन्मदिन को मानव सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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