दंडोती परिक्रमा क्या है – वृंदावन जहाँ लाखों की संख्या में भक्त राधा और श्रीकृष्ण के दर्शन करने आते हैं. इसी के साथ लोग गोवर्धन पर्वत की भी परिक्रमा करते हैं. गोवर्धन पर्वत वही पर्वत है जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठाया था. वहीं इस वजह से कहा जाता है जो गोवर्धन की परिक्रमा को पूरा करता है उसके ऊपर भगवान श्री कृष्ण की कृपा जरूर बरसती है और इस वजह से कई भक्त पैदल चलकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं. जहाँ कई लोग अलग-अलग तरह से दंडोती होकर गोवर्धन पर्वत (Dandoti Parikrama) की परिक्रमा करते हैं तो वहीं इस बीच गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का एक अनूठा नजारा यहां देखने को मिला है.
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एक हज़ार पत्थर के साथ लिया परिक्रमा का संकल्प
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक विडियो सामने आया है और इस विडियो में देखा जा सकता है कि एक भक्त ने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा संकल्प लिया है और ये भक्त दंडोती परिक्रमा को पूरा करने के एक हज़ार पत्थर के साथ इस परिक्रमा को कर रहा हैं. वहीं जिस शख्स ने इस परिक्रमा संकल्प लिया है है उस भक्त का नाम विनोद है और इस परिक्रमा को उसने दान घाटी से शुरू की थी और अभी तक इस परिक्रमा करते हुए उन्हें 7 साल हो गये हैं और अभी उसकी ये परिक्रमा जारी है.
7 साल में किया 7 किलोमीटर का सफर
ये शख्स इस परिक्रमा को करने के लिए सामन्य भोजन ही लेता है वहीं ये शख्स काम भी करता है दिन में ये शख्स परिक्रमा करता है और तय किया गया परिक्रमा का लक्ष्य पूरा करने के बाद ये भक्त रिक्शा चलाता है. वहीं इस शख्स ने बताया कि इस परिक्रमा को करते हुए उन्हें 7 साल हो गये हैं और अभी तक उन्होंने इस परिक्रमा का 7 किलोमीटर का ही सफ़र तय किया है और अभी भी उनकी ये परिक्रमा जारी है.
25 से 30 साल में पूरी होगी परिक्रमा
वहीं उन्होंने ये भी बताया कि परिक्रमा को पूरा करने के लिए उन्हें 15 किलोमीटर का और सफ़र तय करना है और इस पूरा करने में उन्हें 25 से 30 साल का समय लग सकता है. इसी के साथ उस शख्स ने बताया कि जिस भी दिन किसी इमरजेंसी काम से उन्हें जाना पड़ जाता है तो उनकी परिक्रमा रुक जाती है तब वो गैरहाजिरी के दौरन अगले दिन जब परिक्रमा फिर से शुरू करते हैं तो कितना चलना तय किया है उससे ज्यादा का सफर तय करते हैं
जानिए क्या है दंडोती परिक्रमा
दंडोती परिक्रमा में पवित्र मार्ग पर हर कदम पर अपनी भुजाएं फैलाकर जमीन पर सीधा लेटना और अंतिम साष्टांग प्रणाम के दौरान उंगलियों द्वारा छुए गए स्थान पर फिर से साष्टांग प्रणाम करके आगे बढ़ना है. वहीं इस दंडोती परिक्रमा के दौरन पत्थर का इस्तेमाल किया जाता है भारत में वृन्दावन, मथुरा और गोवर्धन में अधिक लोकप्रिय है. बता दें, परिक्रमा को ब्रह्मांड को घेरने का प्रतीक भी माना जाता है और परिक्रमा करने वाले की पहचान सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से की जाती है.
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