26 January ki Murli in Hindi – प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में रोजाना मुरली ध्यान से आध्यात्मिक संदेश दिया जाता है और यह एक आध्यात्मिक सन्देश है. वहीं इस पोस्ट के जरिये हम आपको 26 जनवरी 2024 (26 January ki Murli) में दिये सन्देश की जानकारी देने जा रहें हैं.
मीठे बच्चे – तुम्हें अब शान्तिधाम और सुखधाम जाने का सहारा मिला है, तुम बाप को याद करते-करते पावन बन, कर्मातीत हो अपने शान्तिधाम चले जायेंगे।” |
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प्रश्नः- | बाप की पुचकार किन बच्चों को मिलती है? बाप का शो कैसे करेंगे? |
उत्तर:- | जो बच्चे वफादार, सर्विसएबुल और बहुत मीठे हैं, कभी किसी को दु:ख नहीं देते ऐसे बच्चों को बाप की पुचकार मिलती है। जब तुम बच्चों का आपस में बहुत-बहुत लॅव रहे, कभी भी भूलें न हों, मुख से दु:ख देने वाले बोल न निकलें, सदा भाई-भाई का रूहानी प्यार रहे तब बाप का शो कर सकेंगे। |
गीत:- | मुझको सहारा देने वाले…. |
ओम् शान्ति। गीत तो बच्चों ने बहुत बारी सुना है। बच्चे समझते हैं कि आवागमन में हम कितने भटके हैं। ड्रामा के प्लैन अनु-सार एक शरीर छोड़ दूसरा लिया। सुखधाम में आपेही एक शरीर छोड़ते थे, दूसरा लेते थे – खुशी से। अब बाप खुशी से शरीर छोड़ने लिए समझा रहे हैं। बच्चे समझते हैं हम आत्मा परमधाम से आई हैं, 26 January ki Murli हम आत्मा यहाँ पार्ट बजाती हैं। पहले-पहले आत्मा का निश्चय चाहिए कि हम आत्मा अविनाशी हैं। बच्चों को समझाया है सहारा देने वाला एक ही बाप है। बाप को याद करने से बहुत खुशी होती है। यह बहुत समझने की बातें हैं। पहले सब शान्तिधाम में रहते हैं फिर पहले सुखधाम में आते हैं। बाप तुमको सहारा देते हैं। बच्चे तुम्हारा शान्तिधाम, सुखधाम आया कि आया। यह तो निश्चय है कि हम आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं। पहले से ही अविनाशी पार्ट मिला हुआ है। तुमको यह 84 जन्मों का पार्ट बजाना है। बाप बच्चों से ही बात करते हैं क्योंकि इन बातों को सिवाए तुम्हारे और कोई जानते ही नहीं। इस पुरूषोत्तम संगमयुग पर ही पुरूषोत्तम बनाने के लिए बाप रास्ता बताते हैं। आत्मा को कोई डर नहीं होना चाहिए। हम तो बहुत ऊंच पद पाते हैं। तुम सभी जन्मों को जान गये हो। यह है अन्तिम जन्म। आत्मा समझती है हमको सहारा मिला है शान्तिधाम-सुखधाम में जाने के लिए, तो खुशी से जाना चाहिए। परन्तु अभी यह ज्ञान मिला है कि आत्मा पतित है, आत्मा के पंख टूट गये हैं। माया पंख तोड़ देती है इसलिए वापस जा नहीं सकती। पावन ज़रूर बनना है। वहाँ से नीचे तो आ गए परन्तु अब आपेही वापस जा नहीं सकते, सबको पार्ट बजाना ही है। तुमको भी ऐसे समझना है, हम बहुत ऊंच कुल के हैं। अभी हमको फिर से ऊंच डिनायस्टी का राज्य भाग्य मिलता है। फिर हम इस शरीर को क्या करेंगे। हमको नया शरीर तो वहाँ मिलना है। ऐसे अपने से बातें करो। बाप ने अपना भी परिचय दिया है, रचना के आदि-मध्य-अन्त का भी राज़ समझाते हैं कि आत्मा ही सतोप्रधान सतो रजो तमो में आती है। अब फिर आत्म-अभिमानी बनना पड़े। आत्मा को ही पवित्र बनना है। बाप ने कहा है बस मुझ एक को ही याद करो और कोई को भी याद न करो। 26 January ki Murli धन-दौलत, मकान, बच्चों आदि में बुद्धि गई तो कर्मातीत अवस्था को पा नहीं सकेंगे। फिर पद कम हो जायेगा और फिर सजायें भी खानी पड़े। अभी हम आत्मा लौटने वाली हैं। पावन बन लौटना है। बाप आये हैं पावन बनाने तो हम खुशी से बाप को क्यों नहीं याद करेंगे जो हमारे विकर्म विनाश हो जायें। खुद याद करते होंगे तो दूसरों को भी कहने से तीर लगेगा। इसको विचार सागर मंथन कहा जाता है। सुबह को विचार सागर मंथन अच्छा होता है क्योंकि बुद्धि अच्छी होती है, रिफ्रेश होते हैं। भक्ति भी उस समय होती है। गीत है राम सुमिर प्रभात मोरे मन.. भक्ति मार्ग में तो सिर्फ गाते थे। अभी बाप का डायरेक्शन है कि सवेरे-सवेरे उठ मुझे याद करो। सतयुग में तो राम को सिमरते नहीं। यह सब ड्रामा बना हुआ है। बाप आकर ज्ञान और भक्ति का राज़ समझाते हैं। पहले तुम नहीं जानते थे इसलिए पत्थरबुद्धि कहा जाता है। सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे। इस समय ही कहते हैं ईश्वर तुम्हारी बुद्धि को अच्छा करे। यहाँ का गायन भक्ति मार्ग में चलता है। तो बाप बच्चों को बहुत प्यार से समझाते हैं कि बच्चे तुम मुझ बेहद के बाप को भूल गये हो। तुमको आधाकल्प के लिए मैंने ही बेहद का वर्सा दिया था। तुमको बेहद का संन्यास मैंने ही कराया था, मैंने ही कहा था कि यह सारी पुरानी दुनिया कब्रदाखिल होनी है। 26 January ki Murli जो खत्म होने वाली है तुम उनको याद क्यों करते हो। मुझे तुम बुलाते ही हो कि बाबा हमको पतित दुनिया से छुड़ाए पावन दुनिया में ले चलो। पतित दुनिया में करोड़ों मनुष्य हैं। पावन दुनिया में बहुत थोड़े होते हैं। तो कालों के काल महाकाल को बुलाते हैं ना। भक्तों ने भगवान को बुलाया कि आकर भक्ति का फल दो। हमने बहुत धक्का खाया है। आधाकल्प की आदत पड़ी हुई है तो उनको छोड़ने में मेहनत लगती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। बच्चे नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार अपनी कर्मातीत अवस्था को पाते हैं – कल्प पहले मुआफिक, फिर विनाश हो जायेगा। अभी तो रहने की ही जगह नहीं है। अनाज नहीं, खायें कहाँ से। अमेरिका में भी कहते हैं करोड़ों मनुष्य भूख में मरेंगे। यह नैचुरल कैलेमिटीज़ तो होनी ही है। लड़ाई लग जाए तो अनाज कहाँ से आयेगा। लड़ाई भी बहुत भयानक होती है। जो भी सामान उनके पास तैयार है वह सब निकालेंगे। नैचुरल कैलेमिटीज़ भी मदद करेगी। उनके पहले कर्मातीत अवस्था को पाना है। सांवरे से गोरा बनना है। काम चिता पर बैठ सांवरे बन गये हो। अब बाप खूबसूरत बनाते हैं। आत्माओं के रहने का ठिकाना तो एक ही है ना। यहाँ आकर पार्ट बजाते हो। राम राज्य और रावण राज्य को क्रास करते हो।
अब बाप ने बताया है पुरानी दुनिया का अन्त है, मैं आता ही हूँ अन्त में। जब बच्चे बुलाते हैं। पुरानी दुनिया का विनाश ज़रूर होना है। गायन भी है मिरूआ मौत… लेकिन बाप की श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो वह खुशी हो नहीं सकती। 26 January ki Murli अब तुम बच्चे जानते हो हमको यह शरीर छोड़ अमरपुरी में जाना है। तुम्हारा नाम ही है शक्ति दल, शिव शक्तियाँ। फिर तुम प्रजापिता ब्रह्माकुमार और कुमारियाँ हो। शिव के तो बच्चे हो, फिर भाई बहन बनते हो। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा ही रचना रची जाती है। ब्रह्मा को ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर कहते हैं। तो बाप आत्माओं को बैठ समझाते हैं। आत्मा ही शरीर द्वारा सब कुछ करती है। आत्मा के शरीर को मारते हैं। तो आत्मा कहेगी हमने इस शरीर से फलानी आत्मा के शरीर को मारा। बच्चे पत्रों में लिखते हैं – हम आत्मा ने शरीर द्वारा यह भूल की। मेहनत है ना। इसमें विचार सागर मंथन करना है। मेल्स के लिए बहुत सहज है। बम्बई में सुबह को कितने घूमने फिरने जाते हैं, तुमको तो एकान्त में विचार सागर मंथन करना पड़े। बाबा की महिमा करते रहो। बाबा कमाल है आपकी। देहधारी की महिमा नहीं गाई जाती है। विदेही ऊंचे ते ऊंचा भगवान है, वह कभी अपनी देह नहीं लेते। खुद ने बताया है कि मैं साधारण तन में प्रवेश करता हूँ। यह अपने जन्मों को नहीं जानते हैं। तुम भी नहीं जानते थे। 26 January ki Murli अब इसने मेरे द्वारा जाना है तो तुम भी जान गये हो। तो यह भी प्रैक्टिस है। बाप को याद करने से तुमको बहुत खुशी होगी। जब अपने को आत्मा निश्चय करेंगे तो आत्मा को ही देखते रहेंगे। फिर विकार की कोई बात उठ नहीं सकती। बाप कहते हैं अशरीरी भव। फिर क्रिमिनल ख्यालात उठते ही क्यों हैं। शरीर को देखने से गिर पड़ते हैं। देखना है आत्मा को। हम आत्मा हैं, हमने यह पार्ट बजाया है। अब बाप ने कहा है अशरीरी भव। मुझे याद करो तो पाप कट जायेंगे और याद की यात्रा पर रहने से कमाई जमा होगी। सवेरे का समय बहुत अच्छा है। सिर्फ बाबा के सिवाए और किसको देखो भी नहीं। बाकी यह लक्ष्मी-नारायण हैं एम आब्जेक्ट। मनमनाभव, मध्याजी भव – इसका अर्थ कोई नहीं जानते।
तुम समझा सकते हो – भक्ति है ही प्रवृति मार्ग वालों के लिए। वह निवृति मार्ग वाले जंगल में क्या भक्ति करेंगे। आगे तो यह भी सतोप्रधान थे, उस समय उन्हों को सब कुछ जंगल में पहुँचता था। अभी तो देखो कुटियायें खाली पड़ी हैं क्योंकि तमोप्रधान बनने के कारण उन्हों के पास कुछ पहुँचता नहीं है। भक्तों की श्रद्धा नहीं रही है। इसी कारण अब धन्धे में लग गये हैं। करोड़पति, पदमपति हैं। अब यह तो सब खत्म होने वाला है। ऐसे नहीं कि इस सोने से कोई मकान आदि बनेंगे। वहाँ तो सब कुछ नया होगा। अनाज भी नया, नई दुनिया में फर्स्टक्लास चीजें होती हैं। 26 January ki Murli अभी तो ज़मीन सड़ गई है जो अनाज भी पूरा नहीं निकलता है। वहाँ तो सारी ज़मीन भी तुम्हारी, सागर भी तुम्हारा रहता है। वहाँ कितना शुद्ध भोजन खाते हैं। यहाँ तो देखो जानवरों को भी पकाकर खा लेते हैं। वहाँ तो ऐसी बात ही नहीं। तो तुम बच्चों को बाबा का बहुत शुक्रिया मानना चाहिए। तुम बाप को जानते हो और फिर औरों को भी बताते हो कि बाप ने कहा है कि मैं साधारण बूढ़े तन में, इनकी भी वानप्रस्थ अवस्था में प्रवेश करता हूँ। वानप्रस्थ अवस्था में ही वापिस जाना है, यह भी कायदा है, भक्ति में भी यही रसम चलती है। यह सब है धारण करने की बातें। कोई तो अच्छी रीति नोट कर धारण कर औरों को भी सुनाते हैं। सुनने से बहुत मजा आता है क्योंकि अब सहारा मिला है।
तुम जानते हो हर एक आत्मा भ्रकुटी के तख्त पर विराजमान है। आत्मा के लिए ही कहते हैं भ्रकुटी के बीच चमकता है अजब सितारा। ऐसे तो नहीं कहते परमपिता परमात्मा शिव चमकता है। 26 January ki Murli परन्तु आत्मा चमकती है। आत्मा भाई-भाई है तब कहते हैं हिन्दुस्तानी, पाकिस्तानी, बौद्धी सब भाई-भाई हैं। परन्तु भाई का अर्थ समझते नहीं हैं। तुम्हारा आपस में कितना लॅव होना चाहिए। सतयुग में जानवरों का भी आपस में लॅव है। तुम भाई-भाई हो तो कितना लॅव होना चाहिए। परन्तु देह-अभिमान में आने से एक दो से बहुत तंग हो जाते हैं। फिर एक दो की ग्लानि करते हैं। इस समय तो तुम बच्चों को आपस में बहुत क्षीरखण्ड होकर चलना है। इस समय जो तुम यह पुरूषार्थ करते हो – 21 जन्म क्षीरखण्ड होकर चलते हो। अगर कोई उल्टा अक्षर मुख से निकल जाए तो फौरन कहना चाहिए आई एम सॉरी क्योंकि हमको बाबा का फरमान है कि बहुत मीठा होकर रहना है। जो फरमान नहीं मानेंगे उनको कहा जायेगा ईश्वर का नाफरमानबरदार। कभी भी किसको दु:ख नहीं देना है। बाकी बाबा जानते हैं सिपाही की सर्विस है तो सच्ची कराने के लिए किसको मारना भी पड़ता है। मिलेट्री वालों को लड़ाई भी करनी पड़ती है। सिर्फ अपने को आत्मा समझ मामेकम् याद करो तो बेड़ा पार हो जायेगा। इस पुरानी दुनिया को क्या देखना। हमको तो नई दुनिया को देखना है। अब तो श्रीमत से नई दुनिया स्थापन हो रही है, इसमें आशीर्वाद की कोई बात नहीं। टीचर कभी आशीर्वाद नहीं करते। टीचर तो पढ़ाते हैं। जितना जो पढ़ते हैं, मैनर्स धारण करते हैं, ऐसा पद पाते हैं। इसमें भी ऐसा है। अपना रजिस्टर आपेही देखना है कि हम कैसे चलते हैं। कोई तो बहुत मीठा होकर चलते हैं। हर बात में राज़ी रहते हैं। बाबा ने कहा है तुम आपस में कचहरी करो कि कोई भूल तो नहीं होती है? परन्तु कचहरी करने वालों को समझना चाहिए – हम आत्मा हैं, हम अपने भाई से पूछते हैं इस शरीर द्वारा कोई भूल तो नहीं हुई? किसको दु:ख तो नहीं दिया? बाप कभी दु:ख नहीं देते। 26 January ki Murli बाप तो सुखधाम का मालिक बनाते हैं। बाप है ही दु:ख हर्ता सुख कर्ता। तो तुमको भी सबको सुख देना है। उल्टा सुल्टा कभी भी बोलना नहीं है। कभी भी लॉ अपने हाथ में नहीं उठाना है। तुम्हारा काम है रिपोर्ट करना। बहुत मीठा बनना है। जितना मीठा बनेंगे उतना बाप का शो करेंगे। बाबा प्यार का सागर है, तुम भी प्यार से समझायेंगे तो तुम्हारी विजय होगी। बाप कहते हैं मेरे लाडले बच्चे कभी किसको दु:ख नहीं देना। ऐसे बहुत हैं जो उल्टी सुल्टी भूलें करते हैं, चुगली करना, रीस करना, हसद करना.. यह भी विकर्म है ना।
बाबा कहते हैं जो अच्छा व़फादार, सर्विसएबुल बच्चा होगा वह हमको ज़रूर मीठा लगेगा, उनको पुचकार भी देंगे। दूसरे को नहीं देंगे। फिर कहते हैं इनकी पास खातिरी होती है। यह बड़ा आदमी है। ऐसे बहुत नुकसान करते हैं। उल्टा सुल्टा काम करके दोष धरते हैं। समाचार आता है फलाना बीड़ी नहीं छोड़ता.. बाबा कहते हैं उनको भी समझाना पड़ता है कि तुम योगबल से विश्व को पावन बना सकते हो तो क्या यह नहीं छोड़ सकते? बाप को याद करो। बाबा अविनाशी सर्जन है। ऐसी दवाई देंगे जो सब दु:ख दूर हो जायेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
26 January ki Murli धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह-अभिमान में आकर एक दो को तंग नहीं करना है, हर बात में राज़ी रहना है। कभी भी चुगली नहीं लगानी है, हसद, रीस नहीं करनी है। किसको दु:ख नहीं देना है। आपस में बहुत मीठा, खीरखण्ड होकर रहना है।
2) सवेरे-सवेरे उठ प्यार से बाप को याद करना है। अपने आपसे बातें करनी है, विचार सागर मंथन करते बाबा का शुक्रिया मानना है।
वरदान:- | अपनी पावरफुल स्थिति में स्थित रह मन्सा द्वारा सेवा करने वाले नम्बरवन सेवाधारी भव यदि किसी को वाणी की सेवा का चांस नहीं मिलता तो भी मन्सा सेवा का चांस हर समय है ही। पावरफुल और सबसे बड़े से बड़ी सेवा मन्सा सेवा है। वाणी की सेवा सहज है लेकिन मन्सा सेवा के लिए पहले अपने को पावर-फुल बनाना पड़ता है। वाणी की सेवा तो स्थिति नीचे ऊपर होते भी कर लेंगे लेकिन मन्सा सेवा ऐसे नहीं हो सकती। जो अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा सेवा करते हैं वही नम्बरवन सेवाधारी फुल मार्क्स ले सकते हैं। |
स्लोगन:- | लौकिक कार्य करते अलौकिकता का अनुभव करना ही सरेन्डर होना है। |
अव्यक्ति साइलेन्स द्वारा डबल लाइट फरिश्ता स्थिति का अनुभव करो
अब डबल लाइट बन दिव्य बुद्धि रूपी विमान द्वारा सबसे ऊंची चोटी की स्थिति में स्थित हो विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति लाइट और माइट की शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना के सहयोग की लहर फैलाओ। इस विमान में बापदादा की रिफाइन श्रेष्ठ मत का साधन (पेट्रोल) हो। उसमें जरा भी मन-मत, परमत का किचड़ा न हो।