आज कल मीडिया में हिन्दू मुस्लिम,. चीन-पाकिस्तान और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी के चीतों को छोड़ कर एक और चीज सुर्ख़ियों में है और वो है EWS quota । पिछले कुछ दिनों से देश और Supreme Court में घमासान मचा हुआ था। मुद्दा सिर्फ एक था EWS QUOTA…
आज बात करेंगे EWS कोटे की ? आखिर क्या है EWS quota ? क्या ये EWS QUOTA संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है ? EWS आरक्षण के अंदर कौन-कौन आते हैं ? आमतौर पर जब भी हम रिजर्वेशन का नाम सुनते है तो सबसे पहले हमारे जहन में आता है SC, ST और OBC … लेकिन फिर एक बड़ा सवाल उठता है की क्या भारत में सिर्फ जाती के आधार पर आरक्षण है ?जिसका जवाब अगर हम 2019 से पहले देते तो जवाब हाँ में होता, लेकिन अगर आज की तारीख में बात करे तो इसका जवाब ना है. क्यूंकि 2019 में मोदी सरकार ने आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए यानि general category के गरीब लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में एक शंसोधन किया था. जिसे लेकर आज तक Supreme Court में बवाल मचा हुआ है.
बवाल क्या है ये बाद में समझेंगे इससे पहले समझ लेते है की क्या है ये EWS quota ?
EWS quota यानि की Economically weaker section…. जिसके जरिए सरकार सवर्ण समाज के गरीब लोगों को भी सरकारी संस्थानों से लेकर निजी संस्थाओं तक 10 प्रतिशत आरक्षण देगी। इस आरक्षण में सिर्फ general category के गरीब लोग आएंगे, पिछड़े वर्गों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। क्यूंकि उनके पास पहले से ही आरक्षण की सुविधा थी । ये बात तो साफ़ हो गई की EWS क्या है अब ये जान लेते है की EWS में किन लोगो को शामिल किया गया है? इस EWS quota में जनरल केटेगरी के उन लोगों को शामिल किया गया था जिनकी सालाना आमदनी आठ लाख से कम है या फिर ग्रामीण क्षेत्र में जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है।वो व्यक्ति 1000 वर्ग फुट या उससे अधिक के फ्लैट या मकान का मालिक नहीं होने चाहिए। या फिर 100 वर्ग गज या उससे अधिक के Reasidential plotS का मालिक नहीं होने चाहिए।
अब मुद्दा ये की EWS कोटे में ऐसा कुछ अटपटा तो नहीं लगता लेकिन फिर इस्पे बवाल क्यों ?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सिमा 50 प्रतिशत तय की थी और EWS आरक्षण के आने के बाद ये 60 प्रतिशत तक पहुँच गई। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 50 पर्तिशत को संविधान के मूल ढांचे में शामिल कर दिया था, यही वजह है की EWS कोटे का 10 प्रतिशत आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कर रहा है। एक और बात पर बवाल खूब है की सरकारी तो सरकारी EWS आरक्षण के तहत प्राइवेट सेक्टर को भी इसके under काम करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसी पर सवाल उठाते हुआ कहा क्या सरकार इस EWS आरक्षण को निजी स्कूलों और कॉलेजों पर थोप कर उन्हें अपने मनमाने तरीक से चलना चाह रही है।
दलितों को इस EWS आरक्षण में जगह क्यों नहीं दी गई ?
इस सवाल के जवाब में सरकार ने तर्क ये दिया की दलितों को पहले से ही आरक्षण की सुविधा मिली हुई है।जिसमे ओबीसी (27%), एससी (15%), और एसटी को (7.5%) मिला हुआ है। हमेशा से ही आरक्षण का आधार समाजिक रहा है लेकिन इस बार ये आर्थिक आरक्षण शायद कुछ नया करे। लेकिन सवाल अभी भी यही है की क्या supreme court द्वारा ये कोटा खत्म कर दिया जायेगा या economicaly weaker seaction यानि की आर्थिक रूप से कमजोर general category के गरीब लोगों को ये आरक्षण दिया जायेगा।