कब लागू होता है IPC Section 151? इसके तहत सजा और बेल के बारे में भी जानिए…

कब लागू होता है IPC Section 151? इसके तहत सजा और बेल के बारे में भी जानिए…

भारतीय दंड संहिता 151 क्या है? इसके तहत किस गतिविधि को क्राइम माना जाता है पुलिस इस धारा के तहत कौन से कदम किसी शख्स के खिलाफ उठा सकती है? आज हम इसी के बारे में आपको डिटेल से बताएंगे…

धारा 151 के बारे में जानिए…

भारतीय दंड संहिता की धारा 151 जिसके मुताबिक अगर कोई शख्स ऐसी किसी भी सभा या फिर किसी ऐसी गैंग में शामिल होना चाहे या फिर पहले से ही शामिल हो जिसमें कि कि पांच या उससे ज्यादा लोग पहले से शामिल हो और जिनका लक्ष्य समाज में विवाद खड़ा करना हो। अगर उस पर लगा हुआ आरोप साबित हो जाए तो ऐसे शख्स को धारा 151 के तहत दंड दिया जा सकता है। 

धारा 151 के मुताबिक उन सभी आरोपियों को अरेस्ट कर आरोप साबित होने पर कानून में बताई सजा दी जा सकती है। ताकि ऐसी किसी गैंग में न तो शख्स आने वाले समय में शामिल हो, न तो किसी और को शामिल होने के लिए कहे या प्रेरित करें।

अरेस्ट का प्रॉसेस क्या है?

अगर एक ही ग्रुप के सभी शख्स का लक्ष्य समाज में अशांति फैलाना हो तो इन सबको पुलिस के अधिकारी प्रथम सूचना रिपोर्ट के बाद अरेस्ट कर सकते हैं। प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं भी हुई और इस बारे में पुलिस क्राइम के बारे में कहीं से या किसी और से पता चले तो ऐसे में पुलिस अधिकारी कोर्ट से उन आरोपियों के अगेंट्स अरेस्ट वॉरेंट बनवा सकते हैं, जिसके बेस पर सबको अरेस्ट किया जा सकेगा।

अरेस्ट किए शख्स को 24 घंटे के भीतर ही कोर्ट के सामने पेश करना बेहद जरूरी है। ऐसा करना अरेस्ट शख्स के अधिकार में आता है। पुलिस ऐसा नहीं करती है तो संबंधित पुलिस अधिकारी के अगेंट्स एक्शन भी लिया जा सकता है।

सजा और बेल का क्या है प्रावधान?

आमतौर पर धारा 151 के तहत कैद की सजा का प्रावधान है, जिसकी समय सीमा 6 साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। जो कि कोर्ट अपने विवेक और शख्स की हैसियत से तय करती है। जहां तक बेल की बात है कि इस धारा के तहत आरोपी को जमानत मिल सकती है। 

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