ब्रिटिश शासनकाल के दौरान शुरू किए गए पहले इंजीनियरिंग कॉलेड IIT रुड़की ने गुरुवार को 175 साल पूरे किए हैं। इस कॉलेज की स्थापना 1847 में हुई थीं, जब ब्रिटिश का शासन देश पर था। IIT रुड़की के 175 साल पूरे होने पर जश्न तो मनाया ही गया। इसके साथ साथ इस खास अवसर पर कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत हुई।
संस्थान ने 175वें स्थापना दिवस पर दो प्रमुख परियोजनाएं शुरू कीं, जिसमें राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन और स्काडा-आधारित स्मार्ट एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम के हिस्से के तौर पर 1.3 PETAflops सुपरकंप्यूटिंग सुविधा थीं, जो परिवहन, पानी और कचरे के लिए एकीकृत निगरानी विश्लेषण और नियंत्रण केंद्र स्थापित करेगा।
इसके अलावा संस्थान ने IIT रुड़की के आसपास उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) के साथ जुड़कर Reaseach Capability को मजबूत करने के लिए साझेदारी करने की योजना बना रहा है। इसके तहत स्कूल के बच्चों को IIT रुड़की में आने के लिए आमंत्रित करके ज्ञान और अनुभव के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा। ये ऐसे विषयों पर होगा कि उनका फ्यूचर कैसा हो सकता है या फिर जिससे वो अपने करियर के ऑप्शन की तलाश कर सकते हैं।
इस दौरान IIT रुड़की निदेशक अजीत के. चतुर्वेदी ने उत्तराखंड और रुड़की के 200 किलोमीटर के दायरे में पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को ज्ञान निर्माण और अनुसंधान एवं विकास संबंधित गतिविधियां को साझा करने के लिए साथ आने का आह्वान किया।
वहीं, IIT रुड़की के 175वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा- ‘IIT रुड़की न केवल रिसर्च और Innovation के क्षेत्र में आगे रहा है, बल्कि समाज और देश के बड़े हित के लिए अकादमिक-उद्योग संबंधों को भी बढ़ावा दिया है। नई NIRF रैंकिंग में IIT रुड़की ने सुधार आया और ये वें से सांतवें स्थान पर आ पहुंचा। वास्तुकला श्रेणी में इस साल IIT रुड़की को देश में पहला स्थान मिला है।’
बता दें कि IIT रुड़की को साल 1847 में देश के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था। पहले इसको रुड़की कॉलेज के नाम से जाना जाता था। इस कॉलेज को साल 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था और फिर साल 2001 में इसे IIT में परिवर्तित कर दिया गया।