यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) क्रैक करने का सपना कई लोग देखते हैं। लेकिन हर किसी का वो पूरा नहीं हो पाता। बड़ी संख्या में हर साल छात्र और छात्राएं ये एग्जाम देते हैं, लेकिन उनमें से सफलता कुछ को ही मिल पाती है। लोग UPSC को लेकर सालों तक मेहनत करते है। UPSC एग्जाम क्रैक करने के लिए मेहनत और लगन के साथ-साथ ईमानदारी से पढ़ाई करना बेहद जरूरी होती है।
UPSC का एग्जाम दे रहे छात्रों अक्सर ही कई सवालों से घिरे रहते हैं। जिसमें एक सवाल ये भी होता है कि UPSC क्रैक करने के लिए आखिर कोचिंग कितनी जरूरी है? क्या बिना कोचिंग के UPSC का एग्जाम क्रैक किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब 2015 बैच के IPS अधिकारी सूरज सिंह परिहार ने एक वीडियो के जरिए दिया। UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को उन्होंने बताया कि उनके लिए कितनी कोचिंग की जरूरत कितनी है?
IPS सूरज सिंह परिहार ने अपनी वीडियो में कहा कि बहुत सारे छात्र मुझसे सवाल पूछते हैं कि कोचिंग करना कैसा रहता है? कोचिंग करना जरूरी है? यूपीएससी या फिर ऐसे एग्जाम के लिए कोचिंग की क्या उपयोगिता है?
उन्होंने इस पर अपने विचार रखते हुए आगे कहा कि मेरा मानना है कि अगर आप बहुत ही अनुशासित, Self Motivated छात्र हैं और आप ब्रैकगाउंड से ठीक ठाक स्टूडेंट रहे, तो आज के समय में मैं कोचिंग की कोई विशेष जरूरत नहीं देखता। उनका मानना है कि आजकल ऐसी कई किताबें हैं और इंटरनेट के मदद से भीUPSC की तैयारी की जा सकती है। सूरज सिंह परिहार बताते हैं कि इसके लिए टेस्ट सीरीज भी उपयोगी रहती है। टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की जा सकती है।
हालांकि उन्होंने आगे ये भी कहा कि अगर आपको लग रहा है कि आप नए छात्र है आपको पढ़ने के माहौल, रूटीन की जरूरत है और दूसरे के तर्जुबे से सीखना है, तो इसके लिए आप कोचिंग से मदद लेनी है। साथ ही सूरज सिंह परिहार ने ये भी कहा कि लेकिन कोचिंग जादू की झड़ी नहीं थमा सकती, जिसके बाद आप सोचें कि आपका एग्जाम क्लियर हो जाएगा।
छोटे से परिवार में जन्मे सूरज सिंह परिहार देश की सेवा करना चाहते थे। उनका सपना IPS बनने का था। आर्थिक स्थिति के चलते उन्होनें कॉल सेंटर में भी जॉब की। उन्होनें इस जॉब को छोड़कर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन 6 महीनों में ही उनकी सारी सेविंग खत्म हो गई। जिसके बाद सूरज सिंह परिहार ने बैंक में भी जॉब की। 2012 में SSC सीजीएल की परीक्षा में उनका सेलेक्शन हो गया। जिसके बाद उन्होंने कस्टम और एक्साइज इंस्पेक्टर की नौकरी ज्वॉइन कर ली।
इसके साथ ही वो सिविल सर्विस की तैयारी में भी जी जान से जुटे रहे। तीसरे प्रयास में वो अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हुए। ट्रेनिंग के बाद उनको रायपुर में एसपी सिटी नियुक्त किया गया। वहां अच्छे कामों को देखते हुए प्रमोट किया और फिर पोस्टिंग नक्सली प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में हुईं। यहां सूरज सिंह परिहार ने युवाओं को जागरूक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई, जिसका नाम था ‘नई सुबह का सूरज’।
सूरज सिंह परिहार समाज के लिए अच्छे काम करने के लिए जान जाते हैं। वो अपने कई नेक कामों के लिए अक्सर ही चर्चाओं में रहते हैं। उन्होंने UPSC स्टूडेंट्स की मदद करने के लिए बुक बैंक भी खोला था, जिसके लिए उनकी काफी सराहना हुई थी।