कमिश्नरेट और ग्रामीण लखनऊ के साथ ही 8 थानों की पुलिस ऐसे बेखबर रही जैसे सबकुछ ठीक है और कुछ गलत हो ही नहीं सकता है। पांच जनवरी की रात क्या बेखबर होकर पुलिस सोती रही? क्योंकि तब तक तो हत्या का आरोपी सरफराज अपने ही माता-पिता और भाई की बेरहमी से हत्या कर तीन शव को अपने एक दोस्त के साथ कार में लेकर नौ थानाक्षेत्रों से होकर निकला पर उसको कहीं भी रोका तक नहीं गया। पुलिस अगर सही तरीके से गाड़ी रोककर चेकिंग करती तो शायद हत्या के आरोपी हत्थे चढ़ जाते।
कमिश्नरेट और ग्रामीण दोनों ही पुलिस विभाग की गश्त और चेकिंग की इस घटना ने पोल खोलकर रख दी। हत्यारे विकासनगर एरिया से टेढ़ी पुलिया गुडंबा और फिर मड़ियांव, जानकारीपुरम, बीकेटी थानाक्षेत्र से निकलकर इटौंजा इलाके तक जा पहुंचे। शावेज का शव पहले ठिकाने लगाया गया और फिर महिलाबाद पहुंचकर महमूद के शव को ठिकाने लगाया और फिर माल इलाके में पहुंचकर दरख्शां के शव को दोनों फेंक डाला और ये सारे काम अंजाम देकर विकासनगर लौट आए।
अनिल को कॉल किया फिर तोड़ डाला मोबाइल और सिम
सीओ बीकेटी नवीना शुक्ला के मुताबिक बहन की शादी के समय जब सरफराज कोलकाता से आया था तो वह एक सिम और मोबाइल अलग से लेकर आया था। घटना के पहले उसने उस मोबाइल और सिम का इस्तेमाल किया और अनिल को फोनकर नशीली गोलियां लेकर घर आने को कहा। फिर मोबाइल और सिम को तोड़ दिया। इसके पहले वो करता ये था कि अनिल से बात करने के लिए रास्ते चलते किसी न किसी व्यक्ति को झांसे में लेकर मजबूरी बताता और उसके मोबाइल से फोन कर बात करके मिलने के लिए बुला लेता था। जिससे उस पर किसी का शक न हो सके।